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चौमासी की आराधना :
अपाढ सुदी १४ को चौमासी चौदश के दिन विपुल प्रमाण में पोप हुये थे | व्याख्यान में पू. आचार्यश्री ने चौमासी व्याख्यान देने पर अनेक लोगोंने विविध प्रकार के नियम लिये थे । अंतमें प्रभावना हुई थी । नमिकण पूजन
यह पूजन भारतमें कहीं भी नहीं होनेसे लोगों का उत्साह बढ़ता जाता था । परम प्रभावशाली श्री नभिक्षण पूजाके सुबह व्याख्यान में चडावा बोलने से हजारो की उद्यामणी हुई थी । उपाश्रय के विशाल होलमें पार्श्वनाथ भगवान के सान्निध्य में दोपहर को विजय मुहूर्त में नभित्र पूजन का प्रारंभ हुआ था । शुद्ध मंत्रोच्चार बोलते थे तब लोग ऐसा कहते थे कि ऐसा अद्भुत पूजन हमने कहीं भी नहीं देखा। सामको ५ बजे पूजन समाप्त होते ही प्रभावना हुई थी । लक्ष नवकार का जय :
श्रावण सुदी १० को सामुदायिक लक्ष नवकार महामंत्रके जाप में विपुल भाई बहन जुड़ गए थे । प्रातः स्नात्र महोत्सव प्रवचन होने के बाद जापका प्रारंभ हुआ था | १२|| वजे खीरके एकासना श्री धर्मचन्द्रजी की तरफसे हुए थे । आज पू० प्रसन्नचन्द्र विजयजी का उत्तराध्ययन सूत्रका जोगका पारणा शान्ति से हुआ था । राह देखी जा रही थी उस दिनकी
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श्रावण सुदी १३ को व्याख्यान में पूज्य आचार्यश्री के सचोट उपदेश से और पू० मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजीकी प्रेरणा से यहां विशालकाय आलीशान नूतन उपाश्रय के लिये टीपमें देखते देखने ३५ "हजार रुपये हो गए थे। यहां नूतन उपाश्रयका काम पू० आचार्यश्री के उपदेश से हुआ। तभीसे लोगों के मनमें संदेह था कि इस खर्च के 'लिये क्या होगा ? उस संदेह को दूर करने के लिये पू० श्रीने जोरदार अपील की और संघने बधा करके टीप चालू की, सबके संदेह चले गए ।