Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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योगानु
प्रकरण समुच्चयः
टानविधि प्रकरण
।१४॥
।
| नवरं तित्तीसाइसु आइल्लतिल्ल सय नेया॥१६॥ भगवती आगाढयोगः। तित्तीसदिणा (ज्ञातासूत्र) नायाइ खंधिगुणवीसमग्झयणमिकसरा । दसवग्ग बीअखंधे पाइल्लंतिल्ल अज्झयणा ॥१७॥ उवासगे इगु खंधो केवल दसज्झयण चउद दिण सब्वे । इगु खंघो पुत्वविही अडवगदिण बारसंतगडे (अन्तकृद्ददशांगसूत्र)॥१८॥त्रयोऽप्यनागाढाःनवमंगे इगु खंधो सत्त दिणा तिन्नि वग्ग पुब्वविही । दसमगि दसज्झयणा केवल दिण | चउद इगु खंधो ॥ १९ ॥ दो सुअखंधा दस अज्झयणाई केवलाई विवागसुए। चउवीस दिणाइ तओ [एत्तो उ] परं उबंगाई॥ २० ॥
(अनु०प्रश्न विपाकभत प्र०वि० सू०) उकालि उवाइ चउ कालिअ पन्नत्ति तिग तिगायामा। निरयावलियाखंधे सगदिण पण वग्ग दो नंदी।।२ । | दस दिण वीसुद्देसा निसीहि कप्पाइखंधि वीसदिणा । दुसु छद्दस उद्देसा दसासु अज्झयण नंदिदुगं ।। २२ ।। सुन्न नव सोल बारस चउ छच्च वी|| सुद्देस सोला य । अडज्झयण दु नंदि दिवङ्मास खंधे महानिसीहे।।२३।। आगाढः । पण कप्पे आयामं तितिनिविए नंदिउणुओगदारेसु । इगनिविध जीअकप्पे तेर पइन्नेसु तेश्र इमे ।।२४।। कुसलानुवांध १ भत्तपरिन्ना २ आउरयपच्चक्खाणं च ३। संथारय ४ तह तंदलवेयालिअ५|| चंदविज्झयगं ६ ॥ २५॥ देविंदत्थय ७ गणिविज्जया य ८ महपच्चखाण ह वीरथओ १० । अज्जीवकप्प११ गच्छायारो १२ तह मरण विहि चरमो १३ ॥ २६ ॥ सुत्त १ त्थर भत्त३ काला४ वस्सय५ सज्झाय६ तय संथारे७ । सग मंडलि सव्वंके मासा गुणवीस १६ तिन्नि दिणा३ ॥२७।। उत्तरज्झयणा सत्तिक भगवई महनिसीह दसमंगं । इअ आगाढा उत्तरज्झयण विणाऽऽउत्तवाणमि ॥२८॥ इअ सव्वाणुट्राणे नंदी इगवन्न५१ काल सयचउरो ४०० बावीससय अहुत्तर२२०८ सगलुस्सासा उ उस्सग्गा (कायोत्सर्गाः ८१-२११२७ उच्छ्वासाः) ॥२९॥ इअ मुणिणे मुणिऊणं जोगविहिं विहिअतत्ततवचरणा । चरणकरणावउत्ता गुत्ता सुत्तं अहिज्जंतु ॥ ३०॥
इति श्री योगानुष्ठानविधिः समाप्तः ॥ ६॥
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