Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 87
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org | सूक्ष्मार्थ प्रकरण लप्पन्ना अबाले या एगखुड्भव ।।५८॥ एगमुहुत्त जखुद्दभवराप्तीए इगमुहुत्तपाणूणं । संतेण रासिणा अवहियम्मि भागंमि सत्तरस ।।५९।। हुंति || समुचयः दिभवग्गहणाई उपरि तेरससया उ पणनउया। अंसाण तेवि तणया तिसयर सगतीस सयगाण ॥६०|| एगमुहुत्तगखुल्लगभवंकरासिम्मि ताड सप्ततिः णम्मि कए । इगखुल्लगभवसंतियआवलियारासिणो हुंति ॥६१।। सोलुत्तर दुन्नि सया सत्तत्तरि सहस लक्ख सगसट्ठी । एगा कोडी भणिया ॥८३॥ आवालियाणं मुहतमि ॥६२॥ संखेज्जमसंखेज्जं अर्णतयं तिविहमित्य संखाणं | संखेज्ज पुण तिविहं जहन्नयं मज्झिमुकोसं ॥६३॥ तिविहमसं खेज्ज पुण परित्तजुत्ता असंखयासंखं । एककं पुण तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं ॥ ६४ ॥ तिविहमणतंपि तहा परित्तजुत्तंअणतयाणंतं । एकेक पण तिविहं जहन्नयं मज्झिमुकोसं ॥६५॥ एवं तिभयभिन्नं संखेज्जं एत्थ होइ नायब्वं । अस्संखेज्जं नवहा नवभेयमणतयंपि तहा ॥६६।। एगस्थ मीलियम्मी इगवीसं एत्थ हुंति ठाणाई। एएसिं वक्खाणं जीवसमासस्त वित्तीओ ॥६७।। अहवा दिवढसयाउ अहवा सिरिचकसूरिरहयाओ | सिद्धंतु द्वारभिहाणपगरणाओ मुणेयव्वं ॥ ६८॥ दव्वे खेत्ते काले भावे चउह दुह बायरो सुहुमो । होइ अणंतस्सप्पिणिपरिमाणो पोग्गलपरहो ॥६९|| चउसगुन गवइपाणतणेण परिणभिय मुयह सव्वअणू। एग जओ. भवभभिरो जत्तियकालेण सो थूलो ॥७॥ सत्तण्हऽनयरेण उ इयफुमणे सुहुमदव्वपरियट्टो। अन्ने चउतणुकमउक्कमेण तं बिंति दुविहंपि।।७२॥ लोगपएसोसप्पिणिसमया अणभागबंधठागा य | पुट्ठा मरणेण जया कमुक्कमो बायरोत्ति तया ॥७२॥ पुट्ठाणंतरमरणण पुणो जया ते तया, हवइ सुहुमो । पोग्गलपरियट्टो x खेत्तकालभावहि इय नेओ॥७३।। पोग्गलपरियो इह अट्ठविहो जइवि वनिओ तहवि । अविलेसिवस्सरूवो उ दवओ बायरो गेज्झो॥४॥ विक्कमओ पणपनरुदसंखवरिसंमि चक्कसूरीहिं । सावयराहडवयणा लिाहेया सुहुमत्थसत्तरिया ॥७५।। इतिसूक्ष्मार्थसत्तरिणाम प्रकरणं समाप्तमिति ॥छ । श्रीवर्द्धमानसूरिपादपमोपजीविनः कृतिरियं श्रीमचकेश्वरसूरेः॥छ॥ For Private and Personal Use Only

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