Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
सूक्ष्मार्थसप्ततिः
॥८२॥
जिणेहिं थोवाइं भणियाई ॥३९॥ समयक्खेत्ता बाहिं मणुयाणं नत्थि मरणउप्पत्ती। नेवऽस्थि बायरग्गी नेव य समयाइकालोऽवि॥४०॥ नीर- गिजोब्बणत्यस्स, पसंतस्स सरीरिणो । नीसासुस्सासए एगे, पाणुओ एस भन्नए ॥४१॥ थोवे य सत्त पाणूहि, लवेण सत्त थोबए । मुहुत्ते सत्तहत्तरीए, लवाणं जिणदेसिए ।॥४२॥ मुहुत्तेऽणतनाणीहि, ऊसासाणं वियाहिया । तिसत्तरी सया सत्त, तहा य सहसत्तियं ॥४३॥ अहरत्ते उसासा लक्खो तेरस सहस्स नउय सयं । मासे लक्खा तेत्तीस सहस पणनवइ सया सत्त ॥४४॥ चत्तारि सया अडयाल सहस सत्तेव तय लक्खा य । चतारि य किल कोडी ऊसासा हुंति वरिसम्मि॥४५॥ कोडिसयाई चउरो सत्त उ कोडीउ लक्ख अडयाला । सहभावि य चालीसं वाससए टुति ऊलासा ॥४६॥ घडियाणं इगवीसं लक्खा सहसा य सहि बोद्धव्वा । दो लक्खा पहराणं सहसट्ठासीइ वाससए ॥४७॥ वाससयआउयाण छत्तीससहस्स होइ परिमाणं । अह समयावलियाई विसेसओ भन्नए कालो ॥४८॥ समयावलियमुहुत्ता दिवस अहोरत्त पक्ख मासा य । संवच्छरजापलिया सागर ओसप्पिपरियट्टा ॥ ४९ ।। तह वाससय सहस्तं चुलसीइगुणं हवेज्ज पुव्वंगं । पुवंग पुग्वंगेण ताडियं होइ किर पुव्वं ॥५०॥ पुत्वस्त उ परिमाणं सयरिं खलु हुंति कोडिलक्खाओ। छप्पन्नं च सहस्सा बोद्धव्वा वासकोडीणं ॥५१|| पुब्बंपि य चउरासीलक्खेहि गुणं हविज्ज नउयंगं । एवं नउयप्पभिइसु अट्ठावीससुवि ठाणेसु ॥५२॥ चउरासीलक्खेहि गुगकारो तोऽतिमे हवइ ठाणे । चालसय सुन्नाणं अंका य हवंति छप्पन्ना ।।५३।। पुवनउयप्पभिई य चउदस नामा उ अंगसंजुत्ता । अट्ठावसिं ठाणा चउनउयं होइ ठाणसयं ।। ५४ । पुष्वंगं पुपि य नउयंगं चेव होइ नउयं च । नलिणंगंपिय नलिणं महानलिणंगं महानलिणं ॥५५॥ पउमं कमलं कुमयं तुडियं अडडं च अवव हुहुयं च । अन्नं च अज्य पउयं तह सीसपहेलिया चेव ॥५६॥ खुइभवा साहाया सत्तरस हवति एगपाणामि | पाण एगमहत्ते तिसत्तरी सत्ततीस सया ॥५७|| पणसहि लहसपणसय छत्तीसा इगमुहत्ति खड्भवा । दो य सया
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