Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie
चरणकरण.
प्रकरण मुच्चयः
DIL
॥८६॥
| लियपि जं बज्जे । ते हुतिह मूलगुणा समणाण महव्वया पंच ॥३६॥ पिंडस्स जा विसोही इच्चाइ छठाणगे इमे अंका । बायाल पंच पणवीस बार तह बार चउरो य ।। ३७ || पिंडस्त जा विसोही सा बायाला इहुत्तरगुणेसुं । विन्नेया समिईओ पंच य समए पसिद्धाओ ॥ ३८ ॥ पाणाइवाइयाणं पंचण्ह महब्बयाण उवरिम्मि । हुंतीह भावणाओ पत्तेयं पंच ता य इमा ।। ३९ ।। वत्थाइठवणगहणे समिई इरिएसगाए समिई य । मगयणे गुतिदुर्ग पढनवए भावणा पंच ॥ ४०॥ कोहा वा लोहा वा भया व हासा व नो बए मोसं | अणुचिंतिय | भासेज्जा दुइयवर भावगा पंच ॥४१॥ उग्गहजायण उग्गहनिमामणं उग्गहस्स सीमा य । साहम्मिउग्गहो गुरुअणुनाए भोयणं लापंच ॥ ४२ ॥ इत्थिकह-इथिइंदिय-निरिक्षणाऽऽहार-गिद्धिपरिहारो । संथवभूसअकरणं चउथवए भावणा पंच ।। ४३ ॥ इंदियविरुए सद्दे
रूवे गंधे रले य फासे य । गहिपओसं न करे पंचमवय भावणा पंच ॥ ४४ ॥ अणसणमाई य तवो बारमहा होइ समयसंसिद्धो । मासाई सत्तता एमाई पडिमबारसगं ॥ ४५ ॥ दव्वे खेत्ते काले भावे य अभिग्गहा चउविगप्पा । नाणापयारभेया निट्ठिा समयके| अहिं ।। ४६ ।। पिंडस्ल जा विसोही इमाइ गाहाए पंजलगईए । विवरे कयम्मि होई सयमेगं उत्तरगुणाणं ।। ४७ ।। अन्नसुं किर गंयंतरेस.
छन्नवइ उत्तरगुणा उ। जं निसुणिज्जएँ वकं तहि दव्वाईचउक्कम्मि ।। ४८ ॥ यमसज्झाओ उस्सारियम्मि सेमाउ होइ छन्नबई। दव्वाइचउगमुत्तरगुणेसु भिन्नपि गणियव्वं ।। ४९ ।। तह अन्नसुं गंयंतरेसु नवनउइ उत्तरगुणा ओ । इय वकं दीसइ तत्थ सुणह एयस्स भावत्थं ॥५०॥ छन्नवइए मज्झे गुत्तित्तिगे पाडियम्मि नवनउई । होई इत्थ विभिन्नं व्वाइचउक्कयं गेझं ॥५१।। तो मूलिगगाहाए बीयपए वायणाविसेसोऽयं । भणियब्वो समिइगुत्तितिभावणाईणि तह चेव ॥ ५२ ॥ अन्नेवि य उत्तरगुणा अणागयप्पच्चख णमाईया'। भेयप डिभेयाभिन्ना सुत्ताउ बुहेहिं नायव्या ।। ५३ ।। इय उत्तरगुणविसयं विवरणमेयं समासओ लिहियं । किंची सुत्ताओ सुयहराण उवएसओ किंची ।। ५४ ॥ इय चरण
॥८६॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133