Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राकृते सं प्रकरण समुच्चयः गामृतपदतिः ४७ ॥११९॥ जइ तह काहं किरियं तो मन्ने जम्मसहलत्तं ॥ १०३ ।। कट्ठकडकडंतहिययं जलं व महभवदुइग्गिसंतवियं । किरियारहियस्स व वाहियस्स विरमइ न भावणं ॥१०४।। सत्वपयारिहिं ओलखहि जिव दिट्ठओ परलोउ । तिंव जइ अप्प ओलखहि, ता सिद्धउ परलोउ ॥ १०५ ॥ ताहं जडु किं पंडियउ, पहुवि मुणहि न भेओ । इंवई लोइ पयासियं, जिव हउ पंडिय देओ ।। १०६ ॥ सत्तितुलंत धम्मु करि,मणवावारह मोक्खु । हुं बलियउ हुं दुब्बलउ, एउ म काहिसि दुक्खु ॥ १०७ ॥ इहकिओ दुकिओ ते पुणि, विसहता तुहु देहु । सुमरावंतह जं न भणहि, पड़ियइ पन्ह म देहु ।। १०८ ॥ जं जह दिहिं जिणवरिहि, तं पर तारिसु होइ । एउमवि चेतिमि दुक्खु जे, हूओ कहंतु न कोइ ॥१०९।। | अखंडियाहं दुलंति जलि, भणइ कडेवरु एओ । इह जिय हुहुंतइ मह तणुं, मुणिइउ न पई फलु लेई ।। ११० ।। जीव तहारी चिंतडी, मज्झनि पसरि वियालि । हउं अच्छिसु जाएसि तुई पुण मेलउ कहिं कालि ॥ १११ ॥ अन्यकृतेयं । दिण पाणिय जिम मच्छली तल्लोविल्लि करेइ । विणु पुन्निाहिं तिव देहडी,कोडी गुणिय करेइ ॥ १२॥ संपुन्नसंजमोऽविहु सुब्बंतो धम्मिएहिं पुन्नकए । तइयावि जइ न तोसं अहं वहिस्सं फुडम| धन्नो ॥ ११३ ॥ गायंतपढ़तेहिं लोएहि विविहकव्वबंधेहिं । केहिवि निंदंतेहिं समचित्तो होसुऽहं कइया ॥ ११४ ॥ वणपिंडी आहारो वत्थं | पुण जं व तं व धम्मकए । पाणं च आरनालं संजमजोगं पसाहंतो ॥ ११५ ।। निंदाए नहु रोसो तोसो नेव परकयप्पसंसाए। गामाइसु विहि|रंतो कइया होहं इयचरित्तो ॥११६।। तं तीए निदाए पुणो पुगो चोइओवि जह सुयइ । तह तंदासेवाए धम्मत्थं चोइओऽवि जिओ ॥११॥ विरलच्चिय केइ जई नामजईणं तु नत्थि इह संखा । मुत्तुं परपरिवायं तम्हा चिंतेसु अप्पाणं ॥ ११८ ॥ सूहवदूहवनामा लच्छिअलच्छी य तिजयविक्खाया । तहय सलूणअलूणा सलक्खण अलक्खणा अवरा ॥.११९ ॥ अट्ठावि हु भज्जाओ धम्माहम्मेण हुंति एयाओ । एयं सुणेइ सव्वो धम्माहम्मं न तं सरइ ॥ १२० ॥ जइ तं सरज्ज पायं पुणो अहम्मं न कोइ सेविज्जा | पुन्वभवअसरणाओ बहुओ तेणं अहम्मपरो ॥११९॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133