Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः है चरणकरण प्रकरणम् ॥८४॥ अथ चरणकरणमूलोत्तरगुणप्रकरणम् । आर्यावृत्तम् । बंदिय तिजयरारन्ने गुरुणो वरचरणकरणसंपत्ते । चरणकरणाइविसए किंचि वियारं पवक्खामि ॥१॥ वय ५ समणधम्म१० संजम १७वेयावर्ष च१० बंभगुत्तीओ९ । नाणाइतियं ३ तव १२ कोहनिग्गहाई ४ चरणमेयं ॥२॥ वयमाईणऽट्ठण्हं ठाणाण जहकमेणिमे अंका । पण दस सतरस दसनव तिग बारस चउर संखाओ ॥३॥ पाणाइवाय तह मुसावाया य अदिन्न मेहुणे चेव । सव्वं परिग्गहं चिय इय पंच वयाई नेयाई॥४॥ खंती य महवऽज्जव मुत्ती तव मंजमे य बोद्धवो । सच्चं सोय आकिंचगं च बंभं च जइधम्मो ५|| पुढवि दग अगणि मारुय वगफइ बितिचउ पगिदि अज्जीवे । पेहोप्पेह पमज्जग परिठवण मणोवईकाए ॥६॥ संजमठाणा सत्तरस पायं सुगमा तहावि किर पहा । एसा बुच्चइ सीसं जं चोयइ संजमाईसुं ॥ ७ ॥ उप्पेहा अस्संजमवावारसुं निवारई जंनु । सेसा संजमठाणा सुयाउ विउसेहि नायव्वा ॥ ८॥ दसविहवेयावच्चं सूरिउवज्झायथेरसाहूसु । बालगिलाणसधम्मियकुलगणसंधाण विसयंमि ॥९॥ वसहिकहनिरुजिदियकुइंतरपुब्वकीलियपीए । अइमायाहार विभूमणा य नव बंभगुत्तीओ ॥ १०॥ नाणाइतियं भणियं नाणं तह दसणं चरित्तं च । रयणत्तयमेयं वन्नियं तु मोक्खस्स मग्गो उ ॥ ११ ॥ अगसणमूणोरिया वित्तीसंखेवगं रसच्चाओ । कायाकलेसो संलीगया य बज्झो तवो होइ ॥ १२ ॥ पायच्छित्तं विणओ, वेंयावच्चं तहेव सज्झाओ । झाणं रस्सग्गोऽवि य अभितरओ तवो होइ ॥ १३॥ कोहोवलक्षणाओं कसायच उगस्त दुक्खमूलस्स । सोलसभेयविभिन्नस्स निग्गहो चरणमूलं तु ॥ १४॥ एवं वयमाईणं अट्ठट्ठाणाण विवरणकेसु । एगत्थ मीलिएसु चरणं सत्तरिविहं होइ ॥१५॥ पिंडविसोही समिई ५ भावण १२ पडिमा १२ य इंदिय ५ निरोहो । पडिलेहण २५ गुत्तीओ ३ | अभिग्गहा ४ चेव करणं तु ॥ १६ ॥ पिडविसोहिप्पभिईण अट्ठट्ठाणाण जहक्कमेणं तु । चउ पंच बार बारस पण पणवीसा तिय -%A4%A4-5AHARA ॥८४॥ For Private and Personal Use Only

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