Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण
पडिलेह प्रकरणा
समुच्चयः
है। तउ इरिया पुण दंडगपडिलहण कायजुद्धरणं (कचवरकः) ॥१७॥ पुण इरिय पडिकामत्ता वसहिं काल तो पडिकम्म । सम्झायमाणपरो
हविज्ज जा ताव जामदुर्ग ॥ १८ ॥ तओ-चिइवंदणं जिणाणं पडिलेहिय पुत्ति पोरसीयाए । तह पच्चक्खाणं पुण पारित्ता भंडगाणं च ||१९|| पडिलहित्ता गोयरमग्गगओ एसणाइसमिइपरो । इरियमुवओगकिरियं किच्चा गुरुआणमासज्जा ॥२०॥ तह निरवज्जाहारं गहिऊणं गुरुसमीवमागम्म । आलोइत्ता सम्म छज्जीवणियं (दशकाालेकचतुर्थाध्ययनं ) भणित्ता य ॥२१॥ दीणगुरुभत्तिपुध्वं दच्चा भुत्तुं गुरूणमह पच्छा । आहारमा येरइभो यणदासं विवजंतो॥२२॥ मंडलि पमज्जिऊणं किच्चा चिइवंदणं पुणोवि तहा । सञ्झायज्माणपरो हुज्जा गुरुवयण पवणो य ॥२३॥ पुण पोरिसिम्मि इरियं पुत्ती वसहिं तो य कडिसुत्तं । चोलं तो य अक्खा पुत्ती पुण तह य सज्झायं ॥२४॥ बंदणगं दाऊणं पच्चक्खाणं करिज्ज सत्तीए । उवहिसमग्गं तत्तो कंबलपुव्वं पडिलिहिज्जा ॥२५॥ दवरयकंबल निसिहियदंडय मुणिवरझयंति (रजोहरणं) पडिलिहणं । जइ पुण उववासपरो तो पडिलेहिज्ज कडिवत्थं ॥२६॥ तो इरियं पुण दंडय पडिलेहित्ता य कायउद्धरणं (काजो)। इरियं पडिक्कमित्ता भंडोवगरणं पडिलिाहिज्जा ॥२७॥ सड्डाण पुणो एवं पोसहजुत्ताण तत्थ भिउ णत्थि। पडिलिहिय वसहिसालं पुच्छयं तउ अ आयरिया ॥ २८ ॥ तउ कढि ऊण कज्ज इरियं पुण कुणइ जइजणुव्व परं । पुणरवि कायुद्धरणं सज्झायपरो तो हुज्जा ।। २६ ।। सड्डीणं पुण एवं परं विसेसोऽथि वत्थपडिलेहे । उग्गहपटपरिहाणयवत्थे पुण कायउद्धरणं ।। ३० ।। तिगवेल कढिज्जह कायउद्धरणं च जीवजयणटाए । पुण साहुणीणमेव य करेइ उग्घाडियसिरा य ॥३१।। पडिलेहणावियारो लिहिलो भव्वाण जाणणट्टाए । आणंदविमलसुरिसरसीसेण विजयविमलेणं ॥ ३२ ॥ इति पडिलेहणाविचारप्रकरणम् ।। १० ॥
।।१६।
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