Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करण समुच्चयः १५ ॥ ॥ अथ पडिलेहणाविचारप्रकरणम् ॥१०॥ द्र पडिलेहण सुत्तत्थतत्तदिट्ठी १ दंसणमोहत्तिग च ४ रागतिगं ७ । देवाई तत्ततिगं १० तह य अदेवाइजत्तातगं १३ ॥१॥ नाणाइतिग १६ तह मकरणम् तन्विराहणा १६ तिन्नि गुत्ती २२ दंडतिग २५। इय मुहर्णतयपडिलेहणाउ कमसो विचिंतेज्जा ॥२॥ हासो रई य अरई ३ भयसोगदुगुंछाओ६ तह विवजिज्जा । भुयजुअलं पेहंतो सीसे अपसत्थलेसतिगं ९ ॥ ३ ॥ गारवतिगं च वयणे १२ उर सल्लतिगं १५ कसाय चउ पीठे १६ । परसु छजीव वह २५ तणुपेहाए विजाणमिणं ॥ ४ ॥ जइवि पडिलेहणाए हेऊ जियरक्खणं जिणाणा य । तहवि इमं मण| मक्कडनिजतणत्थं मुणी बिंति ॥ ५॥ पडिलेहणाविसेसं बुच्छामि विहायारजाणणट्ठाए। सामायारीजुग्गं मग्गं जाणन्ति मुणिनिवहा ॥६॥ वत्थरयहरणपट्टयपत्ताईयाण हुँति पणवीसं । दस दंडगाणं अक्खा जइणमवि पडिलेहणा तेर ॥७॥ वत्थरयहरण ओएणाइयाण मुहणंतयव्व पडिलेहा । दंडाइयाण दसगं तिगं तिगं माझि सिरमूले ॥८॥ दिट्टिपडिलेह एगा अक्खो पक्खो तिगं तिगं छकं । बज्झब्भंतर बारस पडिलेहा हुंति अक्खाणं (स्थापनाचार्याणां ) ।।९।। दिट्ठिपडिलेह ऐगा परिहितिगे तिरिण तिारण तिग छूढा । मज्झे बाहिर बारस पणवीसं हुंति पत्ताणं ॥१०॥ दिद्विपडिलेह एगा चउपाए तिन्नि तिन्नि इयं बार । बाहिर चउरो पाए पट्टाणं हुंति पणवीसं ॥१॥ अएणे भणंति बारस अभंतर तह चउसु परिहीसुं। अड तिग चउवीसाणं पडिलेहा हुंति पट्टाणं ।।१२।। पणवीसं तणुपेहा इत्थीणं तह य हुंति पन्नरस। मुहि (मुखे) हियएउवि तिगं तिग पिढे चउरोवि वज्जिज्जा ॥१३॥ तह जोगाणुटाणे पडिलेहा हुँति जेण पणसयरि । पत्तयपत्ताबंधाण पडलयकप्पादियाणं च ॥१४|| साण समीणं पोसहजुत्ताण होति दुगवेला । पडिलेहा सव्वाणं मुणिव्व णेया जहाजुग्गं ॥१५॥ गोसे (प्रभाते) जहरण पुवी पुत्ती धम्म ॥॥१५॥ मयं (रजोहरणम् ) निसीहतिगं। कडिसुत्त चोलपट्टो इरिया अक्खाण पडिलेहा॥१६॥बालाणं बुदाणं उवगरणं) तो य उवाहसमग्गपडिलिहणं । For Private and Personal Use Only

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