Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रकरण समुच्चयः ॥ १७ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ अथ देहकुलकम् ॥ ११ ॥ नमिऊजिणं वीरं किंचि सरूवं भणामि देहस्स । पिट्टिकरंडा अट्ठारसेव बारस य पंस लिया ॥ १ ॥ सत्त सिराण (नसा) सयाई पुरिसस्सित्थीण तीसऊणाई | दसऊरगाइ नपुंसे तिन्नि सया अदामागं ॥ २ ॥ पंचसय पेसियाई नराण महिलारण तीसरहियाई । दसऊणाई नपुंसे मम्माण सयं च सत्तऽहियं ॥ ३ ॥ नव हारूण सयाई नव धमणीओ य संधि सट्ठिसयं । परिणमइ उ उच्चारो पढम पासेय दाहिगए ॥ ४ ॥ थूलंते तणुयंते दो यंता पंच वामया हुंति । परिणमइ उ उच्चारो पढम बीए अ पासवणं ॥ ५ ॥ बत्तीसमेव दंता पणवीसपलाई तह य कालिज्जं (कलेज)। अपलं हिययं कुच्छीय विहत्थिसुपमाणा ||६|| सत्तंगुलाई चउरो पलाई जीहा सिरं चउकवालं । चउरंगुलिया गीवा पलजुयलं लोयगजुगंमि ||७|| सुक्करस अद्धकुडवो कुडवो पित्तस्स तहय सिंभस्स । श्रद्धाढयं च वसए रुहिरस्स य आढयं एगं ||८|| सुत्ताढयं पुरीसे छप्पत्था मुत्थलिंग पत्थो य । पुरिसस्स पंच कुट्ठा छट्टा गन्भमि इत्थीए || ६ || नवई य सयसहस्सा रोमकूपाणि केसमु८छ विणा । अट्ट रोमकूवा कोडी सह के समंसूहिं ॥ १० ॥ पुरिसस्स सोयनवगं इक्कारस सोइ जाण इत्थीए । पुरिमाईणं कवला बत्तीसवी चवीसा || ११ | सत्ताहं कललं होई, सत्ताहं होइ अब्बुयं । अब्बुया जायए पेसी, पेसीयो अ घणं भवे || १२ || पढमे मासे करिपूर्ण, पलं बीए घणो नीई (भवे ) । तइए मासे अ माऊणं. डोहलं जणइ अणुरुवं ॥ १३ ॥ चथे मासे माऊए अंगोवंगाइ पीए गन्भो । करचरणसिरिऊरे पंचमए पंचयं करे || १४|| छट्ठे मासे गन्भो उवचिणइ सोणियं च गन्भभि । सत्त सिराण सयाई एमाई सत्तमे मासे ॥ १५॥ अट्टमे वित्तीकप्पे उ, नवदसमेसु जायति । गब्भस्स य सुणजागर सुहदुक्खं जणणिअणुरूवं ||१६|| जायमाणस्स जं दुक्खं, मरमाणस्स For Private and Personal Use Only 11 200 11

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