Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
॥ ७२ ॥
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भवणवासी २ । अट्ठावह वंतरसुरा ३ भूमुवरिं जंबुदीबाई || २ || अस्संखेज्जा हुती दीवसमुद्दा४ उ लोगमज्झभि । जंबू मज्झे मेरू५ उवरिं पंचविह जोइसिया ६ || ३|| बारस दिवलोगा ७ नव गेवेज्जा ८ पंचऽणुत्तरविमाणा९ । लोगंते सिद्धी १० दस इय ठाणा लोगनाली ए ॥ ४ ॥ १ ॥ तिरियं चउरो दोसुं छ होसुं अट्ठ दस य एकेका । बारस दोसुं सोलस दो वीसा य चउसुं च ।। ५ ।। पुणरवि सोलस दोसुं बारस दोसुं च हुंति नायव्वा । तिसु दस तिसु अट्ठ य छा य दोसु दोसुं च चत्तारि ॥ ६ ॥ ओयरिय लोयमज्झा चउरो चउरो य सव्वा नेया । तिय | तिय दुय दुय एक्केकगो य जा सत्तमीए उ || ७ || उड्डुं तिन्नि सयाई चड अमहियाई खंडुयाणं तु । सोलुत्तर अट्ठसया अहलोए लोगनालेसा || ८|| २ | सुरलोय गेबेज्जाणुत्तरेसु बासट्ठि पत्थडा हुंति । ते मज्झे इंदयवट्टरूवया हुंति बासट्ठी || ९ || तेसिं चउद्दिसिंपि व तंसा चउरंसवट्टयतसाईं । चड चउ आवलियाओ चउगुण बाबढि परिमाणा || १० || नरगपुढवीसु सत्तसु एगुणवन्नास पत्थडा हुति । तंमज्झे तस्संखा गुणवन्नं पाहुति ॥ ११ ॥ तेसिंपि चउद्दिसिं अट्ठ अट्ठ हुंतेव आवलीयाओ । चउहि गुणे गुणवन्नं परिमाणा ताओऽवि भवंति ।। १२ ।। इगुणवन्नास पत्थड अहम्मि तिरियंमि जंबूदीवत्ति । उवरि बावट्ठि पत्थडजुत्ता गुरुलोगनालेसा || १३|| ३ | वेसाहद्वाणद्वियकडित्थकरजयपुरिस आगारं । निक्खुड [ कोणकः ] जुयपत्थडरहिय लोगनालीऍ ठवियाए ।। १४ । विग्गगइमावन्नगजियाण पणसमयविग्गहाईए । पणसमयाए विग्गहगईऍ एसो कमो भणिओ ।। १५ ।। विदिसाउ दिसिं पढने बीए पसरइ लोगमज्झमि । तइए उनीहरइ उत्थए पंचमे ठाइ || १६ || ४ | वरभदसालतरुजयनंदणसोमणसपंडगवणेहिं । सतरसहि चेइएहिं जुत्तो मेरू हवइ लक्खं ॥ १७ ॥ ५ । नउयसयं खंडाणं भारहखेत्तप्पमाणमेत्ताणं । जंबुद्दीवो होई सिरि ( छहि ) गिरिवासेहिं संजुत्तो ।। १८ ।। ६ । भरहेरवयविदेहा पत्तेयं
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पदार्थस्था
पना प्रक.
।। ७२ ।।

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