Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
॥७७॥
NREGALLERGAMANGA
छब्भागयाए उवीर इगवीसं भंगया मुणेयव्वा । नवभगियाएँ उवरि एगुणवन्नास भंगाओ ।।८८॥ एगाई एगुत्तरपत्तेयपयाम्मि उवरि पक्खेयो। सापदार्थस्था एकेकहाणिअवसाणभंगया हुंति नायव्वा ॥ ८९॥ अहवा पयाणि ठविउं अक्खे घेत्तण चारणं कुज्जा। इगदुग तिगसंजोगो भंगाणं संख
पना प्रक. | नायव्वा ॥९॥ छन्भंगी नवभंगी इगवीसं इगुणवन्नभंगीहिं । वयउवरि पत्तेयं देउलिया बारस हवंति ॥९१।।२८। तेरसपएसियं खलु तावइएसुं भवे पएसेसुं। जं दव्वं ओगाढं जहन्नग तं दसदिसागं ।। ९२ ॥ तेरसपएसियं इह जंतं भूमीएँ ठावेइत्ताणं । जहनावगाहदव्वं विनेयं निउणबद्धीहि।।९३॥२९। अट्ठपएसो रुयगो तिरियं लोगस्ल मजझयारम्मि । एस पभवो दिसाणं एसेव भवे अणुदिसाणं ॥९४|| दुपएसाइ दुरुत्तर एग-18 पएसा अणुत्तरा चेव । चउरो चउरो य दिसा चउराइ अणुत्तरा हुंति ॥ ९५ ।। सगडुद्धिसंठियाओ महादिसाओ हवंति चत्तारि। मुत्तावली य
चउरो दो चेव य हुँति रुयगनिभा ॥९६।। इंदग्गेई जमा य नेरई वारुणी य बोध्धव्वा । सोमा ईसाणावि य विमला य तमा य | बोद्धव्वा ॥९७।३०। उज्जुय गंतुं पच्चागई य गोमुत्तिया पयंगविही ( पतंगसदृशा)। पेडा य अद्धपेडा ( अर्धपेटकः) अभिंतर बाहि संबुक्का (कंबुकः) ॥९८॥ एएसि अट्ठण्हवि गोयरभूमीण नियनियसरुवं । भूमीएँ ठवेऊणं भावयव्वं सइ बुहेहिं ॥९९॥३१॥ परिमंडले य वट्टे तसे चउरंस आययं चेव । पंचेए संठाणा अज्जीवाणं मुणेयव्वा ॥१०॥३२। उसभाइजिणाणं पंच पंच कल्लाणगाइ ताणं तु । मिलियाणं वीससयं तेसिं पुण वरिसमझमि ॥१०१॥ चउरासीई एगासणाइ निवियाइ तेरस हवंति। दो आंबिलाइ एगो उववासो ठावणाउ पदे ॥१०२॥३३। गयवसहसीहअभिसेय दाम सास दिणयरं झयं कुंभ। पउमसर सागर विमाणभवण रयणुच्चय सिहिं च ॥१०३॥३४। दप्पण भद्दासण वद्धमाण (शरावकः) | |||७७॥ वरकलस मच्छ सिरिवच्छा। सत्थिय नंदावत्ता भणिया अट्ठठ मंगलया ॥१०४॥३५। बत्तीसलक्खणधरं समचउरंसं लिहित जिणपडिमं । तप्पा
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