Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
पदार्थस्था पना प्रक
॥ ७८॥
सेसु ठवेज्जा अट्ठ वरपाडिहाराई।१०५।। कंकेलिल (अशोकवृक्षः) कुसुमबुट्ठी दिव्वाणि चामरासणाई च । भावलय भेरि छत्तं इय अहउ | पाडिहेराई॥१०६॥३६। जीवा जविठ्ठाणा गुणमग्गणठाणगा उ पत्तेयं । चउदस जोगप्पभिई छयासियाओ मुणेयव्वा ॥१०७||३७। बंधे वीसुत्तरसयं बावसिसयं तु होइ उदयम्मी । उदीरणावि एवं अडयालसयं तु संतम्मि॥१०८॥ बंधोदयदीरण संत जंतचउगं च अट्ठकम्माणं । संचारणम्स सव्वं कम्मथवपडाउ विन्नेयं ॥१०९॥३८-३९-४०-४१। कणगावलिरयणावलि तह मुत्तावली य गुणरयणो । जवमझो वज्जमझो लहु गुरुओ सब्बओ भरं ।।११०॥ तह गुरु लहु भद्दोत्तर तवोत्ति इच्चाइ तवविसेसाण। ठवणाओ सिद्धता बुहेहिं सम्मं मुणेयब्वा ॥१११।।५।लोगना| लीण चउगं४ मेरू ५ जंबू ६ य माणुसं खेत्तं । नंदीसर ८ सासयचेइयाइं९ तह किण्हराई १० य॥११२॥ जिणअन्तर ११ ओसरणं १२ कालचकं १३ च पहरचकं च १४ । सडपहरस्स चक्कं १५ सीलंगरहो १६ य तह भावा १७ ॥ ११३ ।। जोइसियाणं आउं १८ उवसमसेढी य खवगसेढी २० य। गोला २१ फगरूवं २२ गंठिमेयस्सरूवं च २३ ॥११४॥ पुवंगाई २४ पल्लय (संखेज्ज)२५ परूवणा थंडिला २६णुपुम्वि २७ वया २८ । तेरसपएसिय २९ अडपएसिय ३० गोयरवणी (गई) य ३१ ॥११५॥ संठाणाई ३२ कल्लाणगाइ ३३ सुमिणाइ ३४ मंगलाई च ३५। पाडिहेर ३६ छयासिय ३७ कम्मत्थयठावणं ४२ चेव॥ ११६ ।। कणगावलि ४३ रयणावली ४४ तहेव मुत्तावली४५ य गुणरयणो४६। जवमझ४७ जमज्झो४८ तह लहु गुरु सव्वओ भद्दो४९ ॥११७॥ तह गुरु लहुओ भद्दोत्तरोत्ति ५० एवं पयत्थठवणाओ। सब्वाओवि पन्नास भणियाओ पयत्थसंगहणे ॥ ११८ ॥ एवं पयत्थठावणसंगहअभिहाण पगरणं रम्मं । सिद्धताओ सिरिमं चक्केसरसूरिणा लिाहियं ॥ ११९ ॥ इति श्रीवर्द्धमानक्रमकमलोपजीविश्रीचक्रेश्वरसूरिविरचितं पदार्थस्थापनासंग्रहाख्यं प्रकरणम् समाप्तम् ॥
॥ ७८॥
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