Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रकरण समुच्चयः
मोक्षोपदे धर्मस्वरूपं
॥ २२ ॥
गुरुर्गृहीतशास्त्रार्थः, परां निःसङ्गतां गतः। मार्तण्डमण्डलसमो, भव्याम्भोजविकाशने ॥ ४६॥ गुणानां पालनं चैव, तथा वृद्धिश्च जायते । यस्मात्सदैव स गुरुभवकान्तारतायकः ॥४७॥ इति गुरुस्वरूपं ॥ स पुनर्जायते तावदाचारात्सज्जनश्रुतेः । आत्मबोधविशेषाच्च, पुण्याचेत्याह सर्ववित् ॥ ४८ ॥ अक्षुद्रता दया दाक्ष्यं, क्षमा वाक्ष्य( चाक्ष )विनिग्रहः । न्यायानुवृत्तिरनघा, यत्नश्च श्रुतशीलयोः॥४९॥ समानधर्मवात्सल्यं, यतिधर्मादरः परः । इत्यादिः कुशलारम्भो, मुक्तिमार्गतया मतः ॥ ५० ॥ इति धर्मस्वरूपं ।। मोक्षोपदेशपञ्चाशदेषा भाव्या | मुमुक्षुभिः । स्यान्मुनीन्द्रमुनीशेष्टं, येन मुक्तौ स्थिरं मनः ॥ ५१ ॥ इति श्रीमुनिचन्द्रमूरिविरचिता मोक्षोपदेशपञ्चाशिका समाप्ता ॥ १३ ॥
अथ शुद्धधर्मयोग्यजीवोपदेशपश्चाशिकामारंभः ।। १४ ॥ जिणिंदचंदाण कमारवंदे, बंदिसु संकंदणवंदणिज्जे । भणामि संखेवमहं गुणाणं, धम्मारिहाणं किल जे जियाणं ॥१॥ लण माणुस्स| भवं भवंमि, भविज्ज भो भव्व! भवा विरत्तो । धम्मे दढारूढमणो जमेत्तो, न सुंदरं किंचिदिह उन्नमस्थि ॥ २ ॥ चिंतामणी चित्तविचिंति
याणं, महोसहं सव्वदुहामयाणं । आणाणुसारेण सरेज्जमाणो, किं नाम कल्लाणमिमो न कुज्जा? ॥ ३ ॥ एयस्स लोगप्पहुणो पणाओ, | जोगो जुओ जो गुणसंपयाए । एसा अखुद्दत्त१पसन्नरूव२, सहावसोमत्त ३जणप्पियत्तं४ ॥ ४ ॥ अकूरभावो५तह भीरुयत्ता६ऽसढत्त दक्खिन्न८ सलज्जभावोह। दयालु१०मज्झत्थपसन्नदिलुि११, गुणाणुरागित्त१२मुदाहरति ॥५॥ सुद्धकहा१३ सुंदरपक्खगाहो १४.! सुदीहदंसीत्त १५ विसेसनाणं१६ । वुट्टाणुगामित्त१७विणीयभाव१८, कयन्नु १९ सत्तीइ परोवयारो२० ।।६।। सुलद्धलक्खणत्त२१मेगवीस| मिमे गुण तेहिं विभूसितो जो। सो चेव संसुद्धजिणिंदधम्मचिंतामणीपावणपच्चलोति ॥ ७ ॥ संपुनपुन्नो कुसलत्तणाइगुणोववेओ य जणे | | जहेत्थ । जोगो पहाणाण मणीण जाण, तहेव एयस्सवि एस भव्वो ॥८॥ अखुद्दचित्तत्तणको हवेज्ज, तो तुम धीरगहीरभावो।
॥ २२ ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133