Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मकरण समुच्चयः
धर्मोपदेशामामत प्रकरण
॥३०॥
COCOCOCCARECRACROCAL
न कुरियप्पदुक्कयदूसिनो निष्फलो होई ॥२४॥धन्ना हिओवएसाण भायणं पाणिणो परं होति । तं एवं अनंपि यजं जुत्तं तं विहेयब्वं ॥२५॥ ॥ इत्युपदेशामृतपञ्चविसतिका सभाप्ता ।। १६ ॥.
॥ अथ धर्मोपदेशामृतपश्चविंशतिका, आर्यावृत्तम् ॥ १७ ॥ विसमो विसयविसदुमो वेरमाकरण जेण मूलाओ। उम्मूलिओ सुहत्थी सो जयइ जिणे महावीरो ॥ १॥ विसयासुइलोलाणं विसयविसावेसपरवसमणाणं । अणुसासणं जियाणं इणमो भव्वा! निसामेह ॥ २ ॥ जह मंसं कुट्ठीणं अहषा जह जरपराण घयपाणं । जह विदलं | मूमीणं तह विसया मोहबहुलाणं ॥ ३॥ ते पुण पंच पयारा सदा रूवा रसा य गंधा य । फासा य भावरोगो अणाइमं तेसु जा मुच्छा ॥४॥
खीणे इमम्मि सं नथि जन्म दुक्खं जियाण किल झीणं । तं नत्थि किंपि कल्लाणमेत्थ भुवणे न जं पत्तं ॥५॥ विसयविवागनिहालणमिह | विसयबिरखसत्तसरणं च । संतोसभावणं चिय इमस्स खमणे निमित्ताई॥६॥ जो रोगो जो सोगो खेओ भेओ य जो य जीवाणं । जं काहन्न
रुनं च कारखं तस्थ विसयविसं ॥ ७॥ ज णारगाण दुक्खं जं च तिरिक्खाण जं च मणुयाणं । देवाण जं च तंपि य विसयपिवासुब्भवं सव्वं In विसया विसं व विसमा विसया बडिसामिसं व मरणकरा । विसया सेविज्जता छलबहुला तह मसाणं व ॥९॥ निसियग्गखग्गपंजरघरं व सवंगछेइणो विसया। किंपागपागसरिसा विसया मुहमहुरभावेणं ॥१०॥खणदिवा खणनट्ठा खणजणमणमीलणोवमा विसया । किं बहुणा सव्वेसिं विसया मूलं अणत्थाणं ॥ ११॥ कोसासंसग्गीए अम्गीइ व जो तया सुवन्नं व । उच्छालयबहलतेश्रो स धूलभद्दो मुणी जयइ ॥ १२ ॥ धन्नो सो वइरारिसी भिन्नो वरं व जो ण तारुन्ने । लायन्नपुनकनापत्थणघणघायघडणाहिं ॥ १३ ।। कस्स ण चोज्ज अज्जा राइमई विजणगिरिगुहामज्झे । रहनेमिमत्तहत्थी सुमग्गमोयारिओ जीए ॥ १४ ॥ अज्जावि पुष्फचूला सीलुज्जलमहिलपुप्फचूलब्ध
॥ ३०॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133