Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
॥ ५७॥
|त्ति ण प स ति त्ति च छ दु च ए। प दो छा ए अ बिबे ण स पढमक्खरसंतिया ठाणा ॥ ५॥ एकोनत्रिंशदकस्थानसूचिका संक्षिप्ततरेयं गाथा. श्रीसिद्धान्त
॥ ७९२२८१६२५१४२६४३३७५९३५४३९५०३३६ एवं च इमो रासी पच्छणुपुवीएँ होइ गणियब्वो। एगं दहं सयं तिय जा कोडी अट्ठमेलासाराद्धार ठाणे '। ६३ । कोडाकोडी पन्नरसमंमि कोडि कोडी उ कोडी बावीसा। कोडाकोडीकोडाकोडी गुणतीसिमे ठाणे ॥ ६४ ॥ अहवा सिरिपन्नवणावित्तीभिप्पायओ इमे अंका । कोडीकोडाकोडीहिं वावि काउं निरभिलप्पा ।। ६५ ॥ तप्परिनाणत्थं पुत्वपुव्वअंगेहिं सेसवरिसेहिं । परिसंखाणं कीरइ चउरासी तत्थ लक्खाई॥ ६६ ॥ पुव्वंगमाहु तं पि य गुणियं एएण चेव पुव्वं तु । तत्थागयमिणमो कोडि लक्ख सयरी उ वासाणं ॥६॥ छप्पन्नं च सहस्सा बोध्धव्वा हुंति वासकोडणं । पुव्वपरीमाणमिणं भागो एएण किल एत्थ ॥ ६८ ॥ हीरइ सत्तनवाईणुगुणतीसाण एत्थ अंकाणं । तत्थ इमं लद्धफलं भणिय वित्तीऍ गाहाहिं ॥ ६९ ॥ मणुयाण जहन्नपए एक्कारस पुवकोडीकोडीओ। बावीस कोडी लक्खा कोडिसहस्साई चुलसीई ।। ७० ॥ अट्ठेव य कोडिसया पुब्वाण दसुत्तरा तओ हुंति । एक्कासीई लक्खा पंचाणउई सहस्सा य ॥७१॥ छप्पन्ना तिन्नि सया पुव्वाणं पुव्ववन्निया अन्ने । एत्तो पुव्वंगाई इमाइं अहियाई अन्नाई ॥७२॥ लक्खाई एकवीसं पुव्वंगाणं व सत्तरि | सहस्सा। छच्चेवेगुणणट्ठा पुव्वंगाणं सया हुँति ।। ७३ ॥ तेसीइसयसहस्सा पन्नासं खलु भवे सहस्साई। तिन्नि सया छत्तीसा एवइया | वेगला मणुया ।। ७४ ॥ एव परीमाणाई समयक्खेत्तम्मि माणुसाइं धुवं । सव्वजियाणं मज्झे जिणेहिं थोवाइं भणियाई ।। ७५ ।। समयक्
खेत्ता बाहिं मणुयाणं नत्थि मरणउप्पत्ती । नेवन्धि बायरग्गी नेव समयाइकालोऽवि ॥७६।।दार(८)। कालपरिन्नाणंपि य वाससओवरिअणं निसामेह । | अइतुच्छ जत्थुस्सासमाइयं तंपि किल गणियं ।। ७७ ॥ नीरोगि जोब्बणत्थस्स, पसंतस्स सरीरिणो। नीसास्सुसासए एगे, पाणुओ एस भन्नईला
।। ५७॥ |॥७८॥ थोवो य सत्तपाहि, लवेणं सत्त थोवए । मुहुत्ते सत्तहत्तरिए, लवाणं जिणदोसए ॥७९॥ मुहुत्तेऽणतनाणीहिं, उस्सासाणं वियाहिया ।
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