Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मकरण 18 मरमाणे य सुए तह बधू अन्नेवि पाणिणो नियई । ही परिसुन्नमणो कह ण जणो मच्चु विचिंतेइ? ॥ ९॥ ता अज्जवि आरंभा फुरंति निरव-18 धर्मोपदेश
ग्गहा जणाण मणे । जाव जममुग्गदंड चिंताविसयं न ते नेति ॥ १० ॥ होज्जा जस्स जमेणं सह मेत्ती जो वेज्ज अमरो वा । जुज्जेज्ज समुच्चयः
| तस्स वोत्तुं कल्लंमि इमं करिस्सामि ॥ ११ ॥ समजाइवओसवे मच्चुहए जंतुणो नियंतोऽवि । उबिज्जइ जं न जणो तं नूणं वज्जमयहियओ |॥ १२ ॥ पउरजराकेसरभासुरेण गुरुरोगकाणणगएणं । मच्चुहारिणा जणोऽयं समंतओ पाविओ तासं ॥ १३ ॥ तम्हा बुहो पभाए पडिबुद्धो निच्चमेव चिंतेज्जा । अज्ज विओगो रोगो मरणं वा किंपि नो पडिही (पतिष्यति )॥ १४ ॥ जह पिप्पलजललग्गो जलबिंदू पक्षणताडिओ न थिरो । तह जीवियं जियाणं अणेयवसणाउलं जाण ॥ १५ ॥ कत्थ गया रायाणो सगराई सबलवाहणा जेसिं । अज्जवि इमा मही किर | विओगसक्खित्तणं वहइ ।। १६ ॥ एवं सच्छंदचरे मच्चुम्मि चलेसु जोव्वणधणेसु । कत्थ इमो पडिबंधं परिणइपिच्छी जणो कुणइ ? ॥१७॥ इय तियसिंदसहस्सा चक्कहराईण संयसहस्साई। दीवब्व वाउणा पावियाइ कालेण निहणपयं ॥ १८ ॥ मच्चुमणागयकालेऽवि संपयं चिय उवट्ठियं जाण । जम्हा इमोऽवि कालो तव पुश्वमणागओ आसि ॥ १९ ।। जंपि कुणंतो जीवो जायइ सुहसंगओ तयं चेव । कज्जं समायरंतो | कालवसा दुक्खिओ होइ ।। २० ॥ गइपूरे पडियाणं दारूण समागमो जहा होइ । तत्तो पुणो विओगो इय जीवाणपि संसारे ॥ २१ ॥ ता | तप्पंति न हियए वीरा पत्तेऽवि पियविओगम्मि । एवंविहाच्चिय भवो किमिह अपुवं समुप्पण्णं? ॥ २२ ॥ अत्थमणतो दिवसो रविउदयंता य सव्वरी ( रात्रिः) होइ । अन्नोऽनंतरियाई सुहदुक्खाइपि जीवाणं ॥ २३ ॥ तह सोगे कीरते रूवं परिगलइ टलइ देहबलं । नासइ
नाणं मा माणसंमि सोगं जणा! कुणह ॥ २४ ॥ जह संपइ अन्नजणं मयमणुसोयसि तहा तुमंपि इमो। कयवइदिणावसाणे बंधुजणो सो- ॥ ३७ । 2 इही लग्यो ॥ २५ ॥ एत्तोच्चिय जे धीरा परम्मुहा होति सव्वसंगेसुं। जं संगमूलमेयं दुक्खं जीवाण संसारे । २६ ॥ तस्स न जसो न | 2
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133