Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुचयः | मुनिचन्द्र विरह विलापः ४ इवियप्पकलालसंकुलो लोहजलनिही सामी!। संतोसवाडवानलबसेण सोसं तुहं पत्तो ॥ १८ ॥ अन्नेऽवि भावरिउणो हासाई संघडतदढ कलिणो । चारित्तमहामोग्गरपहारदाणण ते निहया १९ ॥ मच्छररहियं परिहासवज्जियं गलियइंदियवियारं । भवनिव्वेयपहाणं जयउ जए कलिणो । चारित्तमहामोर तुह सया चरियं ॥ २० ॥ भोगतिसापामापरिगयाण जीवाण परमविज्जेणं । रयणत्तयतिहलाए तुमए नारोगया विहिया ॥ २१ ॥ भावरिउदव.नलदूमियाई भवियाण माणसवणाई । सत्थीकयाइं तुमए धम्मामयवारिवाहेणं ॥ २२ ॥ सुविहियचरियाधरिणी |पमायपायालमूलमल्लीणा । पुरिमुत्तमेण तुमए मुणिवइ! लीलाइ उद्धरिया ॥ २३ ॥ नाणारयणाई जुगवं तुमए दावितरण | भब्वाणं । निव्वाणनयरमग्गो पायडिओ परमकरुणेणं ॥ २४ ॥ सीलालवालबंधो धम्मतरू सग्गमोक्खफलफलिरो । सुहभावणाजलेणं अहिसित्तो सो तए सामि ॥ २५ ॥ तं जयउ चिंतयकुलं जयाम्म सिरि उदयसेलसिहरं व । भव्यजियकमलबंधव ! जम्मि तुम तमहरो जाओ ॥ २६ ॥ सच्चं महग्घिया सा महग्घिया चरमजलाहिवेलञ्च । मौत्तियमणिब्ब जीए तं फुरिउ ज्यरसिप्पिउडे ॥ २७ ॥ सा दब्भनयरीनयरसेहरतं सया समुबहउ । जीए तुह पुरिससेहर ! जम्मदिणमहामहो जाओ ॥ २८ ॥ जसभद्दो सो सूरी जसं च भई च निम्मलं पत्तो । चिंतामणिव जेणं उवलद्धो नाह! तं सीसो ॥२९॥ सिरिविणयचंदअज्झावयस्स पाया जयंतु विंझस्स । जेसु तुह आसि लीला गयकलहस्सेव भदस्स ॥ ३० ॥ आणंदसूरिपमुहा जयंतु तुह बंधवा जयप्पयडा । जे तुमए दिक्खविया सिक्खविया सूरिणो l य फया ।। ३१ ॥ अव्वो अउज्वमेयं किंपिय तुम्हाण भवियगयकुडुंब!। संसारवल्लरीलूरणम्मि जं गयकुलेण समं ॥ ३२ ॥ नीसेसं तुह चरियं सव्वजियाणंदकारणं चेव । जे तु न नेहो कत्थवि तं मह हियए खुडुकेइ ॥३३।। मन्नामि सामि ! हिययं वज्जसिलासंपुडेण तुह घडियं । पडिबंधबंधुरांमवि सीसजणे निप्पिवासं जं॥३४॥ जाणिय अगागयं चिय मरणं संबोहि कण सीसगणं । गहियाणसणेण तए उबलद्धाऽऽराहणपडागा For Private and Personal Use Only

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