Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir NCR प्रकरण समुच्चयः सामान्य गुणोपदेश कुलकम्. ॥ ३२ ॥ CROSONAGAUR | यणत्तं च ॥ ५ ॥ उत्तमगुणाणुरागो अणुस्सुगत्तं श्रखुद्दभावो में । परलोयभीरुयत्तं सव्वत्थ अणस्थपरिहासे ॥ ६॥ गुरुदेवाविहिपूर्यणमपक्खवाएण णायदरिसितं । असदग्गवजणया सपणयपुव्याभिभासित्तं ॥७॥ वसमि सुधीरत्तं संपत्तीए असुब्बलचं च । सगुणपसंसानुग्जामत्तकरिसस्स परिहारो ॥ ८ ॥ नयविक्कमसालित्तं लज्जालतं सुदीहदरिसित्वं । उसमकमवत्तित्तं पडिवनभरेणधवलत्तं ॥ ९ ॥ उचियहिइपरिवालणमदुराराहत्तणं जणपियत्तं । परपीडापरिहारो थिरया संतोससारतं ॥ १० ॥ अणवरब गुणब्भासो परत्य संपाडणिकरसियत्तं । पयईए विणीयत्तं हिओवएसोवजीवितं ॥ ११ ॥ गुरुजणरायाईणं अवन्नवायाहकारिपरिहरणं । इहपरलोयावायाइचिंतणं चेव अइनिउणं ॥१२॥ एमाइगुणगणो उत्तमेहिं इहपरभवे हि हियहेऊ । अप्पासयंमि णिच्चं णिवेसियव्वो पयत्तणं ॥ १३ ॥ इय गुणजोगाराहिय सामन्नावहिं गिही अजत्तणं । साहेइ विसेसविहिपि नूणं तदवंझहेउत्ति ॥ १४ ॥ सामन्नगुणाऊसत्तो किमन्नं धरि नरो विससगुणे? । नहु सरिसवंपि वोढुं असमत्थो मंदरं धरिही ॥ १५ ॥ इय सामन्त्रगुणज्जमजुत्तो धीरो जगज्ज नियंपि। सुत्तोजग समणोचियगुणेसु तम्मूलगा जंते ॥ १६ ॥ तत्थ पुण विसेसगुणा अणुव्वयाई उ सावयाणुचिया । साहूण खमा मद्दव अज्जव मुत्ती पहागाओ ॥१७|जह दुद्धं घेणूओ दुमाउ पुप्फ जलाउ जह कमलं'। आयारपरबहुस्सुयगुरुसिक्खाओ तह गुणावि ॥ १८ ॥ जं दक्खोकि न पेक्खइ गुरुसिक्खापज्जिओ गुणविससं । जह निम्मलावि चक्खू पयासरहियाण घडपडाइ ॥ १६॥ विउलोवि हेममउलो (सुवर्णमुकुटः) सुवनगारं विणा न हेमत्तं । जह लहइ तहा भव्वो गुरुरहिओ भणियगुणनियहं ।। २०॥ कल्लाणमेत्तमेकं गुणपालणपावणोवत्रयहेऊ । गिरिगुरुयगुणं सुगुरुं निशं ता पज्जुवासिज्जा ॥२शा इय गुणरयणपहाणा सकयत्था (सकृतार्थाः) एत्थ चेव जम्ममि । सरयससिसरिसजसमरभरियदियंस जियंति सुहं ॥२२॥ परलोए पुण कल्लाणमालियामालिया कमेणेव । अणुभूयचोक्खसोक्खा लहवि मोक्वंपि खीणरया SECREASE For Private and Personal Use Only

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