Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः योगानु ष्ठानविाई प्रकरणम् ॥ अथ योगानुष्ठानविधिगर्मितपकरणम् ॥ ९॥ जोगाणुट्ठाणविहिं संखेवेणं मुणंतु मुणिवसहा! ॥ आवस्सयसुअखधे दु नंदि अड दिण छ अज्झयणा ॥१॥ दसयालिअसुअखधे दिण पनर दु नंदि बारस उज्झयण । पंचम नवमे दो चउ उद्देसा कालिया सेसा॥२॥ कालिअ उत्तरायण सुअखंधे दुन्नि नंदि सगवीसं । दिवसाइ जइ असंखं एगदिणायामि अहीइज्जा ||३।। बीअदिणि पढिएं निविन अन्न आयामु एगदिणबुड्डी। चउदसमं जा इगकालि एगु परओ दु दुऽज्झयणा ॥४॥ जत्थ उ इगु संधो तहिं नंदितिगति अंबिलचउक्कं । जत्थंग दो खंधा तहिं पण नंदी ति आयामा ॥५॥ आयारे पएण दिणा दो खंधा पढमि अट्ठ अज्झयणा । तेसु कमुद्देसा सग छ चउ चउ छ पण अड चउरो॥६॥ सत्तज्झयणुदेसा एगारस ति चउसु दु दु दु कमसो । सग ७ सत्तिक्क दु चला इअ एए सोलसज्झयण ॥ ७॥ आचारांगयोगोऽनागाढः । सूयगडे दो खंधा पणज्झयगुहेस चउ ति चउ दो दो। केवल इगार बीए केवलसगझयण तीस दिणा ॥८॥ सूअगडंगयोगःअनागाढः | इकिकसरं चउ चउ चउ तिअ उद्देस पण पणेगसरा इगु खंधु अढारदिणा ठाणे समवाइ तिन्नि दिणा ॥६॥ ठाणांगे अनागाढः । भगवई अंगे खंधो न अस्थि हुंति अमयाणि इगचत्ता ४ सगसयरि काल७७ छासिअ सउ १८६ दिण दो नंदि २ गणिनामं ॥१०॥ तिसु दस दस | उद्देसा पण सग सग काल जेण बीइ सए । पढमे खंदुहेसे दो कालायाम पण दत्ती ॥११॥ तइअसए पुण बीओ उद्देसो चमरउत्ति खंदसमो । | तत्थुग्गाहिमविगईउस्सग्गो छ?जोगो अ॥१२॥ तुरियसंयदसुद्देसा आइल्लंतिल्ल अटू इगकाले। दो सेस एगकाले मूलाओ काल इगवीसं ॥ १३॥ पंचाइ अडतसए पण पण कालेहि दस दसुदेसा । नवमाइ चउदसंता आइल्लंतिल्लि ( प्रथमः अंत्यः ) गिगकाले ॥१४॥ पनरसमे गोसालयसए दु आयामकाल दत्तितिगं । अट्ठमजोगो गुणवन्न४६ काल मूलाओ हुंति इहं ॥१५॥ सेसा छव्वीस सया आइल्डंतिल्ल नवनवुस्सग्गां । ॥ १३ ॥ For Private and Personal Use Only

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