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प्राचीन भारतीय अभिलेख
2.
देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा के पूरे राज्य में इसी प्रकार सीमावर्ती तक यथा-चोड़, पाण्ड्य, सतियपुत्र, केरलपुत्र, ताम्रपर्णी तक यवनराज अंतियोक और जो अंतियोक के पड़ौसी राजा हैं सब दूर देवों के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने दो प्रकार की चिकित्सा (व्यवस्था) की है। मनुष्य-चिकित्सा और पशु-चिकित्सा। और जो औषधियां मनुष्योपयोगी और पशुओं के लिए उपयोगी जहां जहां नहीं हैं वे सर्वत्र ले जाई गयीं और रोपी गयीं। जहां जहां मूल और फल नहीं है वहां वहां ले जाये गये और रोपे गये। पशुओं और मनुष्यों के उपयोग लिए मार्गों पर कुए खुदवाये गये और वृक्ष रोपे गये।
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