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शुभ कामना
• अध्यात्म ध्यानी श्री सुरेश मुनि शास्त्री, पूना (महा.)
अध्यात्मयोगिनी गहन आगम ज्ञाता स्व. साध्वी श्री कानकुंवर जी म. (भुआजी) एवं साध्वी रत्ना परम विदुषी जिन धर्म प्रभाविका स्व. श्री चम्पाकुंवर जी म. (भतीजी) कुचेरा (राजस्थान) की दिव्य मणियाँ थी।
आप दोनों के दीक्षा प्रदाता मरुधरा मंत्री स्व. स्वामीजी श्री हजारी मलजी म. रहे हैं। श्री कानकुंवर जी म. महा. श्री सरदारकुंवर जी की शिष्या बनी तथा श्री चम्पाकुंवर जी महा. श्री कान कुंवर जी की शिष्या हुई।
आप दोनों का जीवन संयम साधना, ज्ञानाराधना में सतत लगा रहा। समाजोत्थान की दिशा में भी सक्रिय योग दान दिया। साध्वी तथा महिला-यवती जगत के लिए प्रेरक स्फरणा देने श्रम-प्रयास रहा है। प्रकृति से सरल, प्रवृति से सहज शांत मना, श्रमणी धर्म आचार विचार व्यवहार में कुशल वाणी से मधुर, उदारता में मृदु आत्म साधना में रत रहना ही आपके संयमी जीवन की सफलता रही हैं।
संयम सूर्य ध्यान योग निधि स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म. श्रमण संघ के पूर्व युवाचार्य बहुश्रुत, आगमज्ञ शांत दांत पूज्य श्री मिश्रीमलजी म. 'मधकर के द्वारा जिन्होंने महान ज्ञान- कोष
महान ज्ञान- काष अनुशासन पद्धति प्राप्त की थी। आप दोनों ने अपना संयमी जीवन धन्य बनाया इतना ही नहीं आपनी गुरु बहिनों,शिष्या प्रशिष्याओं को भी वही सफल सबल मार्ग दर्शन दिया जिसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में आपका श्रमणी परिवार जिन शासन की प्रभावना कर रहा हैं। आपका श्रमणी परिवार इसी तरह श्रमण संघ की महिमा गरिमा बढ़ाने में संलग्न रहेगा।
साध्वी श्री चन्द्रप्रभाजी म.एम.ए. अपनी गुरुणी तथा दादगुरुणीवर्या की पावन स्मृति को स्थायित्व देने हेतु स्मृति ग्रंथ का सम्पादन कर रही हैं। यह गुरुणी श्रद्धा के अनुकूल कर्तव्य है तथा वे साधुवाद के योग्य है। ग्रंथ प्रीत्यर्थ मेरी शुभकामना।
हार्दिक श्रद्धांजलि
• उपप्रवर्तक श्रमण श्री विनय कुमार 'भीम'
शिवपुर जिला भीलवाडा (राज.)
आज तार मिला कर्णकुहरों को शब्द बड़े ही अप्रिय लगे कि श्री कानकुवंरजी म.सा. का ४-८-९१ को मद्रास मे स्वर्गवास हो गया। यह समाचार समाज के लिए गहरा आघात पहुंचाने वाला है।
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