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उपलब्धि उनकी अपनी एक विशिष्टता रहेगी। उन्होने संयम वृत्ति को मनसा / वाचा / कर्मणा द्वारा सरकार किया) वे अपने चंपईवर्णी व्यवहार / वाणी से प्रत्येक जन मन को प्रेरित / प्रभावित करती रही। उनकी उपासना की मधुर महक ने प्रत्येक मानस में नयी स्फूर्ति चेतना से एक जगमगाहट की सरसाई बसा सरसादी ।
स्वर्गीया महासती जी म. मारवाड से महाकौशल म.प्र. की ओर विचरण हेतु अग्रसर होते हुए जावरा (म.प्र.) आई थी। तभी उनसे वार्ता करने का अवसर आया था उनकी मानस भूमि में सरलता / वार्ता में आत्मीयता / गुरुत्व के प्रति समर्पण / श्रद्धाशीलता की महनीय भावात्मकता से ओत-प्रोत रचनात्मक स्थिति के दर्शन होते थे।
महासतीजी म. संघ तीर्थ की एक साधिका सदस्या रही। उनकी श्रद्धा स्मृति में ग्रंथायोजन की साकारता के उपक्रम में सभी जुटे हुए है। आप सभी की शुभद लक्ष्य पूर्ति के माध्यम से जन-दर्शन में जिन संस्कृति की विरासत स्थापित हो यह श्रेयस्कर कामना - कल्पना हैं।
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इच्छा अधूरी रहगई
श्री नमन मुनि मल्लेश्वरम्
पूज्या महासतीवर्या श्री कानकुवंरजी म.सा. की स्वर्ग गमन की सूचना ने संत मंडल को स्तब्ध कर दिया । दुःखी हृदय के लिए अपनी ओर से सांत्वना प्रकट करता हूँ । मद्रास प्रवास के समय की बहुत सी स्मृतियाँ स्मृतिकोश में सुरक्षित है। अभी कुछ समय पूर्व तो साध्वी रत्ना सरल मना श्री चम्पाकुवंरजी म.सा. की छत्र-छाया से वंचित हुए। फिर अब इतनी जल्दी बडे गुरुणी जी का वियोग असहय है। पर नियति इसकी जड़ में मट्ठा डालना हमारे वश की बात नहीं ।
पू. श्री कानकुवंरजी म.सा. पास बैठकर सर चिंत्त से सुने अनुभूति के बोल मुझे बारबार उनकी स्मृति दिला रहे हैं। पू. साध्वीवर्या तो अपनी साधना में पवित्र थी। उनके जीवन की सौरभ को हम अपने जीवन में उतार सकें। तो जीवन के इस बोहिड में भी शांति आ सकेगी।
पू. गुरुदेवश्री सुमति प्रकाशजी म.सा. व पू. उपाध्याय श्री विशाल मुनिजी म.सा. आदि ठाणा आपकी असह्य वेदना के क्षणों में आपके साथ थे। वे तो सभी मद्रास में थे। मैं दूर हूँ। मेरी महासतीजी के दर्शन करने की इच्छा भी अधूरी रह गई। अपनी ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
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शत्-शत् श्रद्धांजलि अर्पणा
मुनि श्री उत्तम कुमार
(बैंगलोर)
महापुरुषों का जीवन अगरबत्ती के समान होता है। जैसे अगरबत्ती स्वयं जलकर राख बन जाती है। अपने अस्तित्व तक को मिटा देती है, उसी प्रकार महापुरुष भी अपने जीवन में आये हुए अनेक
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