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भीषणतम परिषहों को सहन करते हुए भी जन-जन के लिए परोपकार का काम करते हैं। अपने दुःख की परवाह नहीं करते। उनका जीवन पर हिताय होता है। वे महापुरुष नारी के रूप में हो अथवा पुरुष के रूप में यहाँ गुणों की पूजा होती है।, लिंग और वेष की नहीं।
पुरुष के रूप में तो अनेक महापुरुष प्रसिद्ध है ही पर नारियों में भी कमी नहीं है।झांसी की रानी लक्ष्मीबाई राजस्थान की मीराबाई, महाराष्ट्र की जीजाबाई, एवं अन्य अनेक वीरांगनाएँ भारत माता की कुक्षि से अवतरित हुई है।
जिन शासन की साधिका परम विदुषी महासती श्री कानकुवंरजी म.सा. जिनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। आपने अपने जीवन को तप त्याग और साधना में इस ढंग से लगाया था कि जिसके कारण आप क्षमाशील विनयवान और सरलता की प्रतिमूर्ति हो गई। आपके दर्शन सर्व प्रथम मई १९९१
मद्रास के साहुकार पेठ में हुए थे। आपका विनम्रपन वाणी में शालीनता एवं आचरण में पवित्रता वास्तव में प्रशसनीय एवं अनकरणीय है। आपने हम जैसे छोटे-छोटे सन्तों को भी अवर्णनीय सम्मा दिया। आप एक गंभीर मननशील साधिका थी। आपने अनेक शास्त्रों का एवं बहुत से थोकडो का तलस्पर्शी अध्ययन किया था।
आपकी वाणी में मिठास थी। आपने अपने जीवन के लम्बे समय तक शुद्ध एवं निर्मल चरित्र का पालन किया था। आपने संयम काल में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटका एवं तामिलनाडू, आदि क्षेत्रों में पाद विहार करते हुए सम्पर्क में आये हुए अनेक मुमुक्षु आत्माओं को आत्म बोध से लाभान्वित कराया। ऐसी महान आत्मा का श्री संघ से बिछुड जाना जैन समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति
आप के जीवन में अनेक परिषह आए फिर भी आपने साहस और धौर्य के साथ उनकों सहन किया। आपकी ही शिष्या विदुषी श्री चम्पाकुवंरकजी म.सा. का आप के समक्ष ही स्वर्गवास होना बहुत ही कष्ट प्रद क्षण थे। ऐसे वक्त में भी आप स्थिर रही।
___ आपकी अनेक होनहार शिष्याएँ है जैसे कि सेवाभावी श्री बसंतकंवरजी म.सा., विदुषी श्री कंचन कवरजी म.सा., श्री चेतन प्रभाजी म.सा., श्री चन्द्रप्रभाजी म.सा., मधुर गायिका श्री सुमन सुधा जी म.सा. एवं नव दीक्षिता श्री अक्षय ज्योति जी. म.सा. आदि साध्वी मंडल होनहार और समाज की गौरव है। आप लोगं से समाज बहुत कुछ आशा लगाये बैठा हैं। पाँच माह के अन्तराल में दो-दो विदुषी महासाध्वियों का स्वर्गवास होना समाज के लिए बहुत ही कष्ट की बात हैं।
अन्त में स्वर्गगामी साध्वी द्वय को शतः शतः श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए आप लोग जहां भी विराजमान है, सुख शांति की कामना करता हूँ और हार्दिक मंगल भावना भाता हूँ।
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