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उसकेसाथ श्रीसिद्धाचलजी छह (६) साधुसैं पधारे सं० १९५९ मे चैत्री पूनमकी जात्राकरी, वाद महूवा दाटा तलाजावगेरे जात्राकरी, वादवह ५९ सालका चोमासा पालीताणे किया, वादविहारकरतेहूवे श्रीगिरनार वनस्थली मांगरोल वैरावल प्रभासपाटण वलेच पोरबंदर भाणवड जामनगर जात्राकरके पीछे पोरबंदर आये और ६०की सालका चोमासा पोरबंदर किया जीवाभिगमत्रांचा सदापर्युषण जैसा वरतताथा, चोमासे वादविहार करते हुवे गिरनार सेयुंजय जात्राकर नवागांव सणोसरापालियादसुदामडासायला थान वांकानेर मोरवी होते हूवे, मालियाका रण उत्तरके, कछअंजारगये, भद्रेसरतीर्थकी मेलेपर जात्राकरी, कछमुंद्रा उत्तराध्य यन कछ भुज भगवती कछ मांडवी पन्नवणा कछभिदडा - भगवती वांची भाडिया, कछअंजार, ६१-६२-६३-६४ - ६५ क्रमसें यह ५ चोमासा किया, सुथरी घृतकल्लोलतीर्थ जखाऊ नलीया तेरा कोठारा वगेरे जात्राकरी, हरसाल ५ वर्षतक उपधानतप हूवा एकंदर छ देश में साधु साधवीयाकी १० आसरेदीक्षाहूइ, और ६५ की सालमे कछमांडवीका नाथाभाइ वजपालका संघछहरी पालता निकला उसके साथ श्रीसिद्धगिरिजीकी जात्रा १७ठाणेसाथकरी, और ६६की सालका चोमासा पालीताणे किया नंदीसरद्वीपकी रचना भइ साधुरसाधवीओं ३ की दीक्षा५भइ बाद गिरनार की जात्राकरी, ६७की सालका चोमासा जामनगर किया, भगवतीवांची समवसरणकी रचना उछव पूजा प्रभावना उपधान तपदीक्षा ४ वगेरे हूवे, वाद ६८ का चोमासा मोरवी किया, भगवती व्याख्या - नमें वांची वाद गीरनारसत्रुंजय संखेश्वर भोयणीयात्राकर ६९ का चोमासा अहमदावाद कोठारीपोल नवाउपासरामे किया, चोमासैवाद पानसर भोयणी
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