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आत्मजागृति के साधन - तीर्थस्थल
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गोम्मटेश्वर के दर्शनका उल्लेख करते हुए हमसे मूर्ति के विषय में यह सूत्र वाक्य कहा था कि - "मूर्ति अद्भुत है ।"
निर्वाणभूमि होनेके कारण पटना, सिद्धवरकूट गजपंथा (नासिक), द्रोणगिरि, नयनगिरि (बुन्देलखंड ), मोनागिरि, बडवानी, कुंथलगिरि ( जिला उस्मानाबाद) मुक्तागिरि (अमरावती), पावागढ़ और मांगीतुंगी (मालेगांव) आदि प्रख्यात तथा पूज्य स्थल हैं; कारण यहाँ बहुत पवित्रात्मानं रत्न को आराधना कर निर्वाण प्राप्त किया है। मागीतुंगी क्षेत्र रामचन्द्रजी हनुभान्जी आदि महापुरुषोंने मुक्ति प्राप्त की। इस क्षेत्र की पूजामें लिखा है
"गंगाजल प्रासुक भर झारी, तुव चरनन ढिग धारों, परिग्रह तिसना लगी आदि की, साको निरवारो । राम हनू सुग्रीव आदि जे, तुंगी गिरि थित थाई, 'कोडि निन्यानवे मुक्त गए मुनि, पूजो मन वच काई । " - सिद्धक्षेत्र पूजा संग्रह, पृ० ७९ । रामका चरित्र वर्णन करनेवाले मनोहर महाकाव्य जनपद्मपुराण (पर्व १२२ श्लोक ६७ ) से विदित होता है, कि माघ सुदी १२ को रात्रि में अंतिम प्रहर में रामने कैवल्य प्राप्त किया --
"माघशुद्धस्य पक्षस्य द्वादश्यां निशि पश्चिमे । यामे केवलमुत्पन्नं ज्ञानं तस्य महात्मनः ।"
भगवान् मुनिसुव्रतनाथ, जो २० वें तीर्थकर हुए हैं, के समय में रामचन्द्र जो हुए थे । रामचन्द्रजोके समान हनुमान्नीने निर्वाण प्राप्त किया। हनुमान् जी विद्याबलसम्पन्न महापुरुष थे। उनकी ध्वजामें कपिका चिह्न था, भ्रमवश चिह्नका प्रयोग चिह्नवान् के लिए प्रयुक्त होने लगा। बानर शाकाहार करनेवाला शक्ति-स्फूर्ति-युक्त जीवधारी है | वह अहिंसा, शक्ति और स्फूर्तिका प्रतीक है, इस कारण प्रतीत होता है कि हनुमानजीने कपिको अपनी ध्वजाका चिह्न बनाया । आचार्य रविषेणके शब्दों में हनुमानजी सर्वगुण संपन्न महापुरुष थे । उनके पिताका नाम पवनंजय था । ये भी महापुरुष थे । पवन वायुसे मानवको उत्पत्ति वैज्ञानिक दृष्टि विशिष्ट जैनधर्म में स्वीकार नहीं की गई है।
भीम, अर्जुन, युधिष्ठिर इन तीन पांडवोंने पालीताणाके ( गुजरात प्रांत )
१. "रामहणुसुग्गीओ गवयवक्खो य णोलमहणीलो । वणवदीकोडीओ तुमीगिरिणिब्बुदे गंदे ॥ ८ ॥
प्राकृत निव