Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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( २० ) मातृ कुल तथा पितृ कुल गर्भ परिवर्तन विवाह प्रव्रज्या तपस्या और ज्ञान लाभ सर्वज्ञता और सर्वदर्शित्व प्रथम धर्म देशना समवसरण दिव्यध्वनि और उसकी भाषा महावीर भगवान के गणधर क्या पार्श्व और महावीर के धर्म में भेद था महावीर निर्वाण महावीर निर्वाण का समय समकालीन व्यक्ति महावीर के पश्चात् की राज्यकाल गणना बौद्ध काल गणना पौराणिक काल गणना मगध और अवन्ति के राजवंश अवन्ति राज प्रद्योत नन्दों के १५५ वर्ष प्राचार्य काल गणना भद्रबाहु और चन्द्रगुप्त द्वितीय भद्रबाहु की स्थिति खारवेल के शिला लेख से समर्थन आर्य सुहस्ती और सम्प्रति
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