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उन्नीस
१४२ स्नेहबंध का दुष्परिणाम १४३ छद्मस्थ चूक्या १४४ हीरविजयजी को उत्तर १४५ व्यंग्य का उत्तर १४६ अंधी स्त्री का चक्की पीसना १४७ छोटे से छिद्र से अनर्थ १४८ दो चार चावल के दानों से परीक्षा
१४९ जानबूझकर दोष लगाना १५०,१५१ पुस्तक-पन्ने जड़ १५२,१५३ जीव को ऊपर-नीचे कोन ले जाता है ? १५४-१५६ दुर्बलता छिपाने के लिए विषयान्तर होना १५७-१६० तेरापंथ की दीक्षा से पूर्व की घटना
१६१ रीयां गांव के हरजीरामजी सेठ १६२ आम और धतूरे का वृक्ष
१६३ व्रतावती जीवन की पहचान १६४-१६६ सांसारिक मोह
१६७ भृगु के पुत्र १६८ सुमार्ग और कुमार्ग
१६९ विद्वान् व्यक्ति का सोच १७.-१७२ दया की रक्षा या चींटी की?
१७३ स्थूल ही दिखाई नहीं देता, फिर सूक्ष्म कैसे ? १७४ एक बार स्खलना से बार-बार स्खलना १७५ अभयदान की महिमा
१७६ सक्रिय हेतु और निष्क्रिय हेतु १७७-१७८ रत्नादेवी का दृष्टान्त १७९-१८२ पंचांगों की खरीदी १८३-१८८ संसार और मोक्ष का उपकार १८९,१९० क्या साधु और श्रावक का धर्म भिन्न है ? १९१-१९३ प्रतिबोध संभव नहीं १९४,१९५ सभी 'पूर्या' हैं।
१९६ मैं जानता हूं। १९७ दृष्टान्तों की रचना क्यों ?