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अठारह
१०२ देपाला भोजक : सिरोही राव की पालकी १०३ अतीत को किसने देखा है ? १०४ पाली चातुर्मास में हाकिम की युक्ति १०५ तुम कितनी मूर्तियां हो? १०६ सावध दान में मौन १०७ सामायिक को पराना १०८ गुण की पहचान होने के बाद १०९ कुछ तात्त्विक प्रश्न ११० अशुद्ध आहार ग्रहण की स्थापना १११ निन्दकों की चालाकी
११२ परिग्रह किसका ? कूर्मापुत्र का प्रसंग ११३,११४ यदि ऐसे साधुपन टूट जाए तो ? ११५ राग-द्वेष की पहचान ।
साधुओं के बीमारी क्यों ? ११६ गहना मजनू ने चुराया है ११७ भीखनजी की मान्यता से पति मर गया ११८ हाथी के आने पर कुत्ते भौंकते हैं ११९ दीक्षा और मोह
१२० मिश्र की मान्यता १२१,१२२ दान में विवेक १२३-१२७ अनाज के कण का दृष्टान्त
१२८ लेने वाले को पाप तो देने वाले को भी... १२९ स्वयं की भाषा से स्वयं अनभिज्ञ १३० अकल्पनीय वस्तु का दान १३१ गेहूं की दाल नहीं
१३२ समझाने वाले कम १३३,१३४ धम्मो मंगल सुनाओ
१३५ आसोजी ! नींद लेते हो? १३६,१३७ आगे जो पाप-धर्म करेगा वह उसका रहेगा
१३८ मुनि और गृहस्थ कर्म १३९ ज्वरग्रस्त व्यक्ति १४० हेतु-दृष्टान्त के प्रयोग क्यों ? १४१ बीमारी को सहना