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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[३२२] जम्बूद्वीप में शास्वत पदार्थकाल-यावत् मेरु-चूलिका तक जो कहें हैं वे धातकीखण्ड और पुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी कहें ।
[३२३] जम्बूद्वीप के चार द्वार हैं । विजय, वेजयंत, जयंत और अपराजित ।
जम्बूद्वीप के द्वार चार सौ योजन चौड़े हैं और उनका उतना ही प्रवेशमार्ग हैं । जम्बूद्वीप के उन द्वारों पर पल्योपमस्थितिवाले चार महर्धिक देव रहते हैं । उनके नाम ये हैं : विजय, विजयन्त, जयन्त और अपराजित ।
३२४] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के दक्षिण में और चुल्ल (लघु) हिमवन्त वर्षघर पर्वत के चार विदिशाओं में लवण समुद्र तीनसौ तीनसौ योजन जाने पर चार-चार अन्तरद्वीप हैं । यथा-एकोरुक द्वीप, आभाषिक द्वीप, वेषाणिक द्वीप और लांगोलिक द्वीर । उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं । यथा एकोरुक, आभाषिक, वैषाणिक और लाँगुलिक
उन द्वीपों की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में चारसौ-चारसौ योजन जाने पर चार अन्तरद्वीप हैं । यथा- हयकर्णद्वीप, गजकर्ण द्वीप, गोकर्णद्वीप और संकुलिकर्णद्वीप । उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य रहते है । यथा-हयकर्ण, गजकर्ण गोकर्ण और शष्कुलीकर्ण ।
उन द्वीपों की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में पांचसौ-पांचसौ योजन जाने पर चार अंतर द्वीप है । यथा-आदर्शमुखद्वीप, मेंढ़मुखद्वीप, अयोमुखद्वीप और गोमुखद्वीप । उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य हैं । यथा-आदर्शमुख, मेंढ़मुख, अयोमुख और गोमुख ।
उन द्वीपों की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में छःसो-छःसो योजन जाने पर चार अन्तरद्वीप हैं । यथा-अश्वमुखद्वीप, हस्तिमुखद्वीप, सिंह मुखद्वीप और व्याघ्रमुखद्वीप । उन द्वीपों में मनुष्य चार प्रकार के हैं अश्वमुख, हस्तिमुख, सिंहमुख और व्याघ्रमुख ।
जंबू द्वीपो की चार विदिशाओ में लवण समुद्र में सातसो-सातसो योजन जाने पर चार अन्तरद्वीप है । यथा-अश्वकर्ण द्वीप, हस्तिकर्ण द्वीप, अकर्ण द्वीप और कर्णप्रवारण द्वीप । उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य हैं । यथा-अश्वकर्ण, हस्तिकर्ण, अकर्ण और कर्ण प्रावरण ।
उन द्वीपों की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में आठसे-आठसो योजन जाने पर चार अन्तर द्वीप हैं । यथा-उल्कामुखद्वीप, मेधमुखद्वीप, विद्युन्मुखद्वीप और विद्युद्दन्तद्वीप | उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं । उल्कामुख, मेधमुख, विद्युन्मुख और विद्युद्दन्तमुख ।
उन द्वीपों की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में नौसो-नौसो योजन जाने पर चार द्वीप हैं । यथा-घनदन्तद्वीप, लष्टदन्तद्वीप, मूढ़दन्तद्वीप और शुद्धदन्तद्वीप । उन द्वीपों में चार प्रकार के मनुष्य हैं । यथा-घनदन्त, लष्टदन्त, गूढ़दंत, शुद्धदंत ।
जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर में और शिखरी वर्षधर पर्वत की चार विदिशाओं में लवण समुद्र में तीनसो-तीनसो योजन जाने पर चार अन्तरद्वीप हैं । अन्तरद्वीपों के नाम इसी सूत्र के उपसूत्र के समान समझें ।
[३२५] जम्बूद्वीप की बाह्य वेदिकाओं से (पूर्वादि) चार दिशाओं में लवण समुद्र में ९५००० योजन जाने पर महाघटाकार चार महापातालकलश हैं । यथा-वलयामुख, केतुक, यूपक और ईश्वर । इन चार महापाताल कलशों में पल्योपम स्थिति वाले चार महर्धिक देव रहते हैं । यथा-काल, महाकाल, वेलम्ब और प्रभंजन
जम्बूद्वीप की बाह्य वेदिकाओं से (पूर्वादि) चार दिशाओं में लवण समुद्र में ४२,०००