________________
स्थान- ४/३/३४९
८९
[३४९] पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा- एक अपना भरण-पोषण करता हैं किन्तु दूसरे का भरण-पोषण नहीं करता । एक अपना भरण-पोषण नहीं करता किन्तु दूसरों का भरण-पोषण करता हैं । एक अपना भी और दूसरें का भी भरण-पोषण करता हैं। एक अपना भी भरण-पोषण नहीं करता और दूसरे का भी भरण-पोषण नहीं करता ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । यथा - एक पुरुष पहले भी दरिद्री होता हैं और पीछे भी दरिद्री रहता है । एक पुरुष पहले दरिद्री होता हैं किन्तु पीछे धनवान हो जाता । एक पुरुष पहले धनवान होता हैं किन्तु पीछे दरिद्री हो जाता हैं । एक पुरुष पहले भी धनवान होता है और पीछे भी धनवान रहता हैं ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा- एक पुरुष दरिद्री होता हैं और दुराचारी भी होता है । एक पुरुष दरिद्री होता हैं किन्तु सदाचारी होता हैं । एक पुरुष धनवान होता हैं किन्तु दुराचारी होता हैं । एक पुरुष धनवान भी होता है और सदाचारी भी होता है ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा - एक दरिद्री हैं किन्तु दुष्कृत्यों में आनन्द मानने वाला है । एक दरिद्री किन्तु सत्कार्यों में आनन्द मानने वाला हैं । एक धनी हैं किन्तु दुष्कृत्यों में आनन्द माननेवाला हैं । एक धनी भी है और सत्कार्यो में भी आनन्द माननेवाला हैं । पुरुष वर्ग चार प्रकार हैं । यथा - एक पुरुष दरिद्री है और दुर्गति में जानेवाला हैं । एक पुरुष दरिद्री है और सुगति में जानेवाला हैं । एक पुरुष धनवान है और दुर्गति में जानेवाला हैं । एक पुरुष धनवान हैं और सुगति में जानावाला हैं ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । यथा एक पुरुष दरिद्री हैं और दुर्गति में गया हैं । एक पुरुष दरिद्र है और सुगति में गया हैं । एक पुरुष धनवान है और दुर्गति में गया हैं । एक पुरुष धनवान है और सुगति में गया है ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । एक पुरुष पहले अज्ञानी है और पीछे भी अज्ञानी है । एक पुरुष पहले अज्ञानी है पीछे ज्ञानवान हो जाता हैं । एक पुरुष पहले ज्ञानी हैं बाद में अज्ञानी बन जाता हैं । एक पुरुष पहले भी ज्ञानी हैं और पीछे भी ज्ञानी हैं ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा- एक पुरुष मलिन स्वभाववाला है और उसके पास अज्ञान का बल है । एक पुरुष मलिन स्वभाववाला हैं उसके पास ज्ञान का बल है । एक पुरुष निर्मल स्वभाववाला है किन्तु उसके पास अज्ञान का बल है । एक पुरुष निर्मल स्वभाव वाला हैं और उसके पास ज्ञान का बल है ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । यथा- एक पुरुष मलिन स्वभाववाला है और अज्ञान बल में आनंद माननेवाला हैं । एक पुरुष मलिन स्वभाववाला हैं किन्तु ज्ञान बल में आनंद माननेवाला है । एक पुरुष निर्मल स्वभाववाला है किन्तु अज्ञान बल में आनंद माननेवाला है । एक पुरुष निर्मल स्वभाववाला है और ज्ञान बल में आनंद मानता है ।
पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा - एक पुरुष ने कृषि आदि सावद्यकर्मोंका तो परित्याग कर दिया हैं किन्तु सदोष आहार आदि का परित्याग नहीं किया हैं । एक पुरुष ने सदोष आहार आदि का तो परित्याग कर दिया हैं किन्तु कृषि आदि सावद्यकर्मों का परित्याग नहीं किया हैं । एक पुरुष ने कृषि आदि सावद्य कर्मों का भी परित्याग कर दिया हैं और सदोष आहार आदि का भी परित्याग कर दिया हैं । एक पुरुष ने कृषि आदि सावध कर्मों का भी