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स्थान-५/१/४३३
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से जिसको जिस आगम की वाचना देनी है उसे उस आगम की वाचना दे । आचार्य या उपाध्याय अपने गण में ग्लान या शैक्ष्य की सेवा के लिए सम्यक् व्यवस्था करे । गण में रहने वाले श्रमण गुरु की आज्ञा से बिहार करें ।
[४३४] पाँच निषद्यायें (बैठने के ढंग) कही गई हैं । यथा- उत्कुटिका-उकडु बैठना । गोदोहिका-गाय दुहे उस आसन से बैठना । समपादपुता-पैर और पुत से पृथ्वी का स्पर्श करके बैठना । पर्यका-पलथी मारकर बैठना । अर्धपर्यका-अर्ध पद्मासन से बैठना ।
पाँच आर्जव (संवर) के हेतु कहे गये हैं । यथा- शुभ आर्जव, शुभ मार्दव, शुभ लाधव, शुभ क्षमा, शुभ निर्लोभता ।
[४३५] पाँच ज्योतिष्क देव कहे गये हैं । यथा-चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, तारा ।
पांच प्रकार के देव कहे गये हैं । यथा- भव्य द्रव्य देव-देवताओं में उत्पन्न होने योग्य मनुष्य और तिर्यंच । नर देव-चक्रवर्ती । धर्मदेव-साधु । देवाधिदेव-अरिहन्त । भावदेवदेवभव के आयुष्य का अनुभव करने वाले भवनपति आदि के देव ।।
[४३६] पाँच प्रकार की परिचारणा (विषय सेवन) कही गई हैं । यथा- कायपरिचारणा केवल काया से मैथुन सेवन करना । यह परिचारणा दूसरे देवलोक तक होती है । स्पर्श परिचारणा केवल स्पर्श होने से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह तीसरे चौथे देवलोक तक होती है । रूप परिचारणा केवल रूप देखने से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा पांचवे, छठे देवलोक तक होती है । शब्द परिचारणा केवल शब्द श्रवण से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा सातवें, आठवें देवलोक तक होती है । मन परिचारणा केवल मानसिक संकल्प से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा नवमें से बारहवें देवलोक तक होती है ।
[४३७] चमर असुरेन्द्र की पाँच अग्रमहिषियां कही गई हैं । यथा- काली, रात्रि, रजनी, विद्युत, मेघा । बलि वैरोचनेन्द्र की पाँच अग्रमहिषियाँ कही गई हैं । यथा- शुभा, निशुभा, रंभा, निरंभा, मदना ।
[४३८] चमर असुरेन्द्र की पाँव सेनायें हैं और उनके पाँच सेनापति हैं । यथा- पैदल सेना, अश्वसेना, हस्तिसेना, महिषसेना, रथसेना ।
पाँच सेनापति है । द्रुम-पैदल सेना का सेनापति । सौदामी अश्वराज-अश्व सेना का सेनापति । कुंथु हस्तीराज-हस्तिसेना का सेनापति, लोहिताक्षमहिषराज-महिष सेना का सेनापति । किन्नर-रथ सेना का सेनापति ।
बलि वैरोचनेन्द्र की पाँच सेनायें हैं और उनके पाँच-पाँच सेनापति हैं । यथा- पैदल सेना-यावत् स्थ सेना । पाँच सेनापति है ।- महद्रुम-पैदल सेना के सेनापति । महासौदाम अश्वराज-अश्वसेना के सेनापति । मालंकार हस्तीराज-हस्तिसेना के सेनापति । महालोहिताक्ष महिषराज-महिष सेना के सेनापति । किंपुरुष-रथसेना के सेनापति ।
धरण नागकुमारेन्द्र की पाँच सेनायें हैं और उनके पाँच सेनापति हैं, यथा- पैदल सेना-यावत् रथ सेना । पाँच सेनापति है । -भद्रसेन-पैदल सेना के सेनापति । यशोधर अश्वराज-अश्व सेना के सेनापति । सुदर्शन हस्तिराज-हस्ति सेना के सेनापति । नीलकंठ महिषराज-महिष सेना के सेनापति । आनन्द-रथसेना के सेनापति ।
भूतानन्द नागकुमारेन्द्र की पाँच सेनाएँ हैं और पाँच सेनापति हैं । यथा- पैदल सेना