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स्थान-८/-/७४९
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जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीता महानदी के उत्तर में आठ राजधानियां हैं, यथा-क्षेमा, क्षेमपुरी, यावत्-पुंडरिकिणी । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ राजधानियां हैं । यथा-सुसीमा, कुंडला यावत्, रत्नसंचया । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ राजधानियां हैं, अश्वपुरा, यावत् वीतशोका । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में आठ राजधानियां हैं, यथा- विजया, वैजयन्ती-यावत् अयोध्या ।।
[७५०] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में, उत्कृष्ट आठ अर्हन्त, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुये, होते हैं और होंगे । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में इतने ही अरिहन्त आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में इतने ही अरिहन्त आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे । उत्तर में भी इतने ही अरिहन्त आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे।
[७५१] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत से पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में आठ दीर्ध वैताढ्य, आठ तमिस्त्रगुफा, आठ खंडप्रपातगुफा, आठ कृतमालक देव, आठ नृत्यमालक देव, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा, आठ सिन्धु, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं ।
जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ दीर्धवैताढ्य हैंयावत्-आठ ऋषभकूट देव हैं । विशेष यह कि-रक्ता और रक्तवती नदियों के कुण्ड हैं ।
जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत से पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ दीर्ध वैताढ्य पर्वत हैं यावत्-आठ नृत्यमालक देव हैं, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा (नदियां) आठ सिन्धु नदियाँ, आठ ऋषभ कूट पर्वत और आठ ऋषभ कूट देव हैं । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में आठ दीर्ध वैताढ्य पर्वत हैं यावत्-आठ नृत्यमालक देव हैं । आठ रक्त कुण्ड हैं, आठ रक्तावती कुण्ड हैं, आठ रक्ता नदियाँ हैं यावत्आठ ऋषभ कूट देव हैं ।
[७५२] मेरुपर्वत की चूलिका मध्यभाग में आठ योजन की चौड़ी हैं ।
[७५३] धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध में धातकी वृक्ष आठ योजन का ऊँचा है, मध्य भाग में आठ योजन का चौड़ा है, और इसका सर्व परिमाण कुछ अधिक आठ योजन का है । धातकी वृक्ष से मेरु चूलिका पर्यन्त सारा कथन जम्बूद्वीप के वर्णन के समान कहना चाहिए । धातकीखण्ड द्वीप के पश्चिमार्ध में भी महाधातकी वृक्ष से मेरु चूलिका पर्यन्त का कथन जम्बूद्वीप के वर्णन के समान है ।
इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध में पद्मवृक्ष से मेरु चूलिका पर्यन्त का कथन जम्बूद्वीप के समान है । इस प्रकार पुष्कवरद्वीपार्ध के पश्चिमार्ध में महापद्म वृक्ष से मेरुचूलिका पर्यन्त का कथन जम्बूद्वीप के समान हैं ।
[७५४] जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत पर भद्रशालवन में आठ दिशाहस्तिकूट हैं । यथा[७५५] पद्मोत्तर, नीलवंत, सुहस्ती, अंजनागिरी, कुमुद, पलाश, अवतंसक, रोचनागिरी । [७५६] जम्बूद्वीप की जगति आठ योजन की ऊँची है और मध्य में आठ योजन