Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 226
________________ समवाय-६५/१४३ २२५ सौधर्मावतंसक विमान की एक-एक दिशा में पैंसठ-पैंसठ भवन कहे गये हैं । समवाय-६५ का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण (समवाय-६६) [१४४] दक्षिणार्ध मानुष क्षेत्र की छियासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, प्रकाशित करते हैं और प्रकाशित करेंगे । इसी प्रकार छियासठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे । उत्तरार्ध मानुष क्षेत्र को छियासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, प्रकाशित करते हैं और प्रकाशित करेंगे । इसी प्रकार छियासठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे । श्रेयांस अर्हत् के छयासठ गण और छयासठ गणधर थे । आभिनिबोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति छयासठ सागरोपम कही गई है । (समवाय-६७) [१४५] पंचसांवत्सरिक युग में नक्षत्र मास से गिरने पर सड़सठ नक्षत्रमास हैं । हैमवत और एरवत क्षेत्र की भुजाएं सड़सठ-सड़सठ सौ पचपन योजन और एक योजन के उन्नीस भागों में से तीन भाग प्रमाण कही गई हैं । मन्दर पर्वत के पूर्वी चरमान्तभाग से गौतम द्वीप के पूर्वी चस्मान्तभाग का सड़सठ हजार योजन विना किसी व्यवधान के अन्तर कहा गया है । सभी नक्षत्रों का सीमा-विष्कस्भ [दिन-रात में चन्द्र-द्वारा भोगने योग्य क्षेत्र] सड़सठ भागो से विभाजित करने पर सम अंशवाला कहा गया है । (समवाय-६८) [१४६] धातकीखण्ड द्वीप में अड़सठ चक्रवर्तियों के अड़सठ विजय और अड़सठ राजधानियां कही गई हैं । उत्कृष्ट पद की अपेक्षा धातकीखण्ड में अड़सठ अरहंत उत्पन्न होते रहे हैं, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे । इसी प्रकार चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव भी जानना चाहिए । पुष्करवर द्वीपार्ध में अड़सठ विजय और अड़सठ राजधानियां कही गई हैं । वहाँ उत्कृष्ट रूप से अड़सठ अरहन्त उत्पन्न होते रहे हैं, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे । इसी प्रकार चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव भी जानना चाहिए । विमलनाथ अर्हन् के संघ में श्रमणों की उत्कृष्ट श्रमणसम्पदा अड़सठ हजार थी । (समवाय-६९) [१४७] समयक्षेत्र (मनुष्य क्षेत्र या अढाई द्वीप) में मन्दर पर्वत को छोड़कर उनहत्तर वर्ष और वर्षधर पर्वत कहे गये हैं । जैसे—पैंतीस वर्ष (क्षेत्र), तीस वर्षधर (पर्वत) और चार इषुकार पर्वत । मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से गौतम द्वीप का पश्चिम चरमान्त भाग उनहत्तर हजार योजन अन्तरवाला विना किसी व्यवधान के कहा गया है । 2015

Loading...

Page Navigation
1 ... 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274