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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
तोरणों से सुशोभित तथा सुरों, असुरों और गरुडदेवों से पूजित थे ।
[३०४] इन चौबीस तीर्थंकरों के चौबीस प्रथम शिष्य थे । जैसे
[३०५] १. ऋषभदेव के प्रथम शिष्य ऋषभसेन, और अजितजिन के प्रथम शिष्य सिंहसेन थे । पुनः क्रम से ३. चारु, ४. वज्रनाम, ५. चमर, ६. सुव्रत, ७. विदर्भ । तथा
[३०६] ८. दत्त, ९. वराह, १०. आनन्द, ११. गोस्तुभ, १२. सुधर्म, १३. मन्दर, १४. यश, १५. अरिष्ट, १६. चक्ररथ, १७. स्वयम्भू, १८. कुम्भ, १९. इन्द्र, २०. कुम्भ, २१. शुभ, २२. वरदत्त, २३. दत्त और २४. इन्द्रभूति प्रथम शिष्य हुए।
[३०७] ये सभी उत्तम उच्चकुल वाले, विशुद्धवंश वाले और गुणों से संयुक्त थे और तीर्थ-प्रवर्तक जिनवरों के प्रथम शिष्य थे ।
[३०८] इन चौवीस तीर्थंकरों की चौबीस प्रथम शिष्याएं थीं । जैसे
[३०९] १. ब्राह्मी, २. फल्गु, ३. श्यामा, ४. अजिता, ५. काश्यपी, ६. रति, ७. सोमा, ८. सुमना, ९. वारुणी, १०. सुलसा, ११. धारिणी, १२. धरणी, १३. धरणिधरा ।
[३१०] १४. पद्मा, १५. शिवा, १६. शुचि, १७. अंजुका, १८. भावितात्मा, १९. बन्धुमती, २०. पुष्पवती, २१. आर्या अमिला । तथा
[३११] २२. यशस्विनी, २३. पुष्पचूला और २४. आर्या चन्दना । ये सब उत्तम उन्नत कुलवाली, विशुद्धवाली, गुणों से संयुक्त थीं और तीर्थ-प्रवर्तक जिनवरों की प्रथम शिष्याएं हुई।
[३१२] इस जम्बूद्वीप के इसी भारत वर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में उत्पन्न हुए चक्रवर्तियों के बारह पिता थे । जैसे
[३१३] १. कृषभजिन, २. सुमित्र, ३. विजय, ४. समुद्रविजय, ५. अश्वसेन, ६. विश्वसेन, ७. सूरसेन, ८. कार्तवीर्य । तथा
[३१४] ९. पद्मोत्तर, १०. महाहरि, ११. विजय और १२. ब्रह्म । ये बारह चक्रवर्त्तियों के पिताओं के नाम हैं ।
[३१५] इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्तियों की बारह माताएं हुई । जैसे- सुमंगला, यशस्वती, भद्रा, सहदेवी, अचिरा, श्री, देवी, तारा, ज्वाला, मेरा, वप्रा और बारहवी चुल्लिनी ।
[३१६] इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्ती हुए । जैसे
[३१७] १. भरत, २. सगर, ३. मधवा, ४. राजशार्दूल सनत्कुमार, ५. शान्ति, ६. कुन्थु, ७. अर, ८. कौरव-वंशी सुभूम । तथा
[३१८] ९. महापद्म, १०. राजशार्दूल हरिषेण, ११. जय और १२. ब्रह्मदत्त । [३१९] इन बारह चक्रवर्तियों के बारह स्त्रीरत्न थे । जैसे
[३२०] १. प्रथम सुभद्रा, २. भद्रा, ३. सुनन्दा, ४. जया, ५. विजया, ६. कृष्णश्री, ७. सूर्यश्री, ८. पद्मश्री, ९. वसुन्धरा, १०. देवी, ११. लक्ष्मीमती और १२. कुरुमती । ये स्त्रीरत्नों के नाम हैं ।