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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
सर्वार्थसिद्ध नामक अनुत्तर विमान में अजघन्य-अनुत्कृष्ट (उत्कृष्ट और जघन्य के भेद से रहित) सब देवों की तेतीस सागरोपम की स्थिति कही गई है ।
[२४६] भगवन् ! शरीर कितने कहे गये हैं ? गौतम ! शरीर पाँच कहे गये हैंऔदारिक शरीर, वैक्रिय शरीर, आहारक शरीर, तैजस शरीर और कार्मण शरीर ।
____ भगवन् ! औदारिक शरीर कितने प्रकार के कहे गये हैं । गौतम ! पाँच प्रकार के कहे गये हैं । जैसे-एकेन्द्रिय औदारिक शरीर, यावत् गर्भजमनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर तक जानना चाहिए ।
भगवन् ! औदारिकशरीर वाले जीव की उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना कितनी कही गई है ?
गौतम ! [पृथ्वीकायिक आदि की अपेक्षा] जघन्य शरीर-अवगाहना अंगुल के असंख्यातवे भाग प्रमाण और उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना [बादर वनस्पतिकायिक की अपेक्षा] कुछ अधिक एक हजार योजन कही गई है । इस प्रकार जैसे अवगाहना संस्थान नामक प्रज्ञापना-पद में
औदारिकशरीर की अवगाहना का प्रमाण कहा गया है, वैसा ही यहां सम्पूर्ण रूप से कहना चाहिए । इस प्रकार यावत् मनुष्य की उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना तीन गव्यूति कही गई है ।
भगवन् ! वैक्रियिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! वैक्रियिकशरीर दो प्रकार का कहा गया है-एकेन्द्रिय वैक्रियिक शरीर और पंधेन्द्रिय वैक्रियिकशरीर । इस प्रकार यावत् सनत्कुमार-कल्प से लेकर अनुत्तर विमानों तक के देवों का वैक्रियिक भवधारणीय शरीर कहना । वह क्रमशः एक-एक रत्नि कम होता है ।
भगवान् ! आहारकशरीर कितने प्रकार का होता है ? गौतम ! आहारक शरीर एक ही प्रकार का कहा गया है ।
भगवान ! यदि एक ही प्रकार का कहा गया है तो क्या वह मनुष्य आहारकशरीर है, अथवा अमनुष्य-आहारक शरीर है ? गौतम ! मनुष्य-आहारकशरीर है, अमनुष्य-आहारक शरीर नहीं है ।
भगवान ! यदि वह मनुष्य-आहारक शरीर है तो क्या वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यआहारक शरीर है, अथवा सम्मूर्छिम मनुष्य-आहारकशरीर है ? गौतम ! वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है ।
भगवन् ! यदि वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है, तो क्या वह कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, अथवा अकर्मभूमिज-गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है ? गौतम ! कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, अकर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर नहीं है ।
भगवान् ! यदि कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, तो क्या वह संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, अथवा असंख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है ? गौतम ! संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, असंख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यआहारकशरीर नहीं है ।
भगवन् ! यदि संख्यात-वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर है,