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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
नहीं करता । एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य करता हैं और असमय भी । एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य नहीं करता और असमय भी नहीं कस्ता ।
मेघ चार प्रकार के हैं । एक मेघ क्षेत्र में बरसता है किन्तु अक्षेत्र में नहीं बरसता । एक मेघ अक्षेत्र में बरसता हैं किन्तु क्षेत्र में नहीं बरसता । एक मेघ क्षेत्र में भी बरसता है
और अक्षेत्र में भी बरसता है । एक मेघ क्षेत्र में भी ही बरसता और अक्षेत्र में भी नहीं बरसता। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष पात्र को दान देता हैं किन्तु अपात्र को नहीं । एक पुरुष अपात्र को दान देता है किन्तु पात्र को नहीं । एक पुरुष पात्र को भी दान देता है और अपात्र को भी । एक पुरुष पात्र को भी दान नहीं देता और अपात्र को भी नहीं देता ।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ धान्य के अंकुर उत्पन्न करता हैं किन्तु धान्य को पूर्ण नहीं पकाता । एक मेघ धान्य को पूर्ण पकाता हैं किन्तु धान्य के अंकुर उत्पन्न नहीं करता । एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न करता है और धान्य को पूर्ण भी पकाता हैं । एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न नहीं करता है और धान्य को पूर्ण भी नहीं पकाता है । इसी प्रकार माता-पिता भी चार प्रकार के हैं । यथा-एक माता-पिता पुत्र को जन्म देते है किन्तु उसका पालन नहीं करते । एक माता-पिता पुत्र का पालन करते हैं किन्तु पुत्र को जन्म नहीं देते हैं । एक माता-पिता पत्र को जन्म भी देते हैं और उसका पालन भी करते हैं । एक माता-पिता पुत्र को जन्म भी नहीं देते हैं और उसका पालन भी नहीं करते है ।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ एक देश में बरसता हैं किन्तु सर्वत्र नहीं बरसता हैं । एक मेघ सर्वत्र बरसता है किन्तु एक देश में नहीं बरसता । एक मेघ एक देश में भी बरसता है और सर्वत्र भी बरसता हैं । एक मेघ न एक देशमें बरसता है और न सर्वत्र बरसता है। इसी प्रकार राजा भी चार प्रकार के हैं | यथा-एक राजा एक देश का अधिपति है किन्तु सब देशों का नहीं । एक राजा सब देशों का स्वामी है किन्तु एकदेशका नहीं । एक राजा एक देश का अधिपति भी हे और सब देशों का अधिपति भी है । एक राजा न एक देश का अधिपति है और न सब देशों का अधिपति है ।।
[३६९] मेघ चार प्रकार के हैं । पुष्कलावर्त, प्रद्युम्न, जीमूत और जिम्ह । पुष्कलावर्त महामेघ की एक वर्षा से पृथ्वी दस हजार वर्ष तक गीली रहती हैं । प्रद्युम्न महामेघ की एक वर्षा से पृथ्वी एक हजार वर्षतक गीली रहती है । जीमूत महामेघ की एक वर्षा से पृथ्वी दस वर्ष तक गीली रहती हैं । जिम्ह महामेघ की अनेक वर्षाएँ भी पृथ्वी को एक वर्ष तक गीली नहीं रख पाती ।
[३७०] करंडक चार प्रकार के हैं ? श्वपाक का करंडक । वेश्याओं का करंडक । समृद्ध गृहस्थ का करंडक । राजा का करंडक ।
इसी प्रकार आचार्य चार प्रकार के हैं । श्वपाककरंडक समान आचार्य केवल लोकरंजक ग्रन्थों का ज्ञाता होता हैं किन्तु श्रमणाचार का पालक नहीं होता । वेश्याकरंडक समान आचार्य जिनागमों का सामान्य ज्ञाता तो होता है किन्तु लोकरंजक ग्रन्थों का व्याख्यान करते अधिक से अधिक जनता को अपनी ओर आकर्षित करता हैं । गाथापति के करंडक समान आचार्य स्वसिद्धान्त और पर-सिद्धान्त का ज्ञाता होता है और श्रमणाचार का पालक भी होता हैं । राजा