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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
एक पुरुष व्रण की रक्षा करता हैं किन्तु व्रण नहीं करता हैं । एक पुरुष व्रण भी करता हैं
और व्रण की रक्षा भी करता हैं । एक पुरुष व्रण भी नहीं करता और व्रण की रक्षा भी नहीं करता । पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष व्रण करता हैं किन्तु व्रण को औषधि आदि से मिलाता नहीं है । एक पुरुष व्रण को औपधि से ठीक करता हैं किन्तु व्रण नहीं करता हैं । एक पुरुष व्रण भी करता हैं और व्रण की रक्षा भी करता हैं । एक पुरुष व्रण भी नहीं करता है और व्रण को ठीक भी नहीं करता हैं ।
. व्रण चार प्रकार के हैं । यथा-एक व्रण के अन्दर शल्य हैं किन्तु बाहर शल्य नहीं है । एक व्रण के बाहर शल्य है किन्तु अन्दर शल्य नहीं है । एक व्रण के अन्दर भी शल्य है और बाहर भी शल्य है । एक व्रण के अन्दर भी शल्य नहीं है और बाहल भी शल्य नहीं है । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार का है । एक पुरुष मन में शल्य रखता हैं किन्तु व्यवहार में शल्य नहीं रखता हैं । एक पुरुष व्यवहार में शल्य रखता हैं किन्तु मन में शल्य नहीं रखता हैं । एक पुरुष मन में भी शल्य रखता हैं और व्यवहार में भी शल्य रखता हैं । एक पुरुष मन में भी शल्य नहीं रखता हैं और व्यवहार में भी शल्य नहीं रखता हैं ।।
व्रण चार प्रकार के हैं । यथा-एक व्रण अन्दर से सड़ा हुआ हैं किन्तु बाहर से सड़ा हुआ नहीं है । एक व्रण बाहर से सड़ा हुआ है किन्तु अन्दर से सड़ा हुआ नहीं हैं । एक व्रण अन्दर से भी सड़ा हुआ है और बाहर से भी सड़ा हुआ है । एक व्रण अन्दर से भी सड़ा हुआ नहीं हैं और बाहर से भी सड़ा हुआ नहीं है । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथाएक पुरुष का हृदय श्रेष्ठ हैं किन्तु उसका व्यवहार श्रेष्ठ नहीं है । एक पुरुष का व्यवहार श्रेष्ठ है किन्तु दुष्ट हृदय है । एक पुरुष दुष्ट हृदय भी है और उसका व्यवहार भी श्रेष्ठ नहीं है । एक पुरुष दुष्ट हृदय भी नहीं है और व्यवहार भी उसका श्रेष्ठ है ।
पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष सद्विचार वाला है और सत्कार्य करनेवाला भी है । एक पुरुष सद्विचार वाला है किन्तु सत्कार्य करनेवाला नहीं है । एक पुरुष सत्कार्य करनेवाला तो है किन्तु सद्विचार वाला नहीं हैं । एक पुरुष सद्विचार वाला भी नहीं हैं और सत्कार्य करनेवाला भी नहीं है । पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष भाव से श्रेयस्कर है और द्रव्य से श्रेयस्कर सदृश है । एक पुरुष भाव से श्रेयस्कर है किन्तु द्रव्य से पापी सदृश हैं । एक पुरुष भाव से पापी है किन्तु द्रव्य से श्रेयस्कर सदृश्य है । एक पुरुष भाव से भी पापी है और द्रव्य से भी पापी सदृश है ।
पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष श्रेष्ठ है और अपने को श्रेष्ठ मानता हैं । एक पुरुष श्रेष्ठ है किन्तु अपने को पापी मानता हैं । एक पुरुष पापी है किन्तु अपने को श्रेष्ठ मानता हैं । एक पुरुष पापी है और अपने को पापी मानता हैं ।।
पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष श्रेष्ठ है और लोगों में श्रेष्ठ सदृश माना जाता है । एक पुरुष श्रेष्ठ है किन्तु लोगों में पापी सदृश माता जाता हैं । एक पुरुष पापी हैं किन्तु लोगों में श्रेष्ठ सदृश माता जाता हैं । एक पुरुष पापी है और लोगों में पापी सदृश माना जाता है । पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष जिन प्रवचनों का प्ररूपक है किन्तु प्रभावक नहीं है । एक पुरुष शासन का प्रभावक है किन्तु जिन प्रवचनों का प्ररूपक नहीं है । एक पुरुष शासन का प्रभावक भी है और जिन वचनों का प्ररूपक भी है । एक पुरुष शासन का