________________
स्थान- ४/३/३३७
अगर अस्तमितोदित हैं । कालशौकरिक अस्तमितास्तमित है ।
[३३८] युग्म चार प्रकार है । यथा - कृतयुग्म - एक ऐसी संख्या जिसके चार का भाग देने पर शेष चार रहे । त्र्योज एक ऐसी संख्या जिसके तीन का भाग देनेपर शेष तीन रहे । द्वापर - एक ऐसी संख्या जिसके दो का भाग देनेपर शेष दो रहे । कल्योज - एक ऐसी संख्या जिसके एक का भाग देने पर शेष एक रहे । नारक जीवों के चार युग्म । इसी प्रकार २४ दण्डकवर्ती जीवों के चार युग्म हैं ।
[३३९] शूर चार प्रकार के हैं । यथा- क्षमाशूर, तपशूर, दानशूर और युद्धशूर | क्षमाशूर अरिहंत है, तपशूर अणगार हैं, दानशूर वैश्रमण हैं, और युद्धशूर वासुदेव है ।
[३४०] पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । यथा एक पुरुष उच्च हैं (लौकिक वैभव से श्रेष्ठ हैं) और उच्चछंद है ( श्रेष्ठ अभिप्राय वाला है), एक पुरुष उच्च है किन्तु नीच छंद है (नीच अभिप्राय वाला है), एक पुरुष नीच हैं (वैभवहीन है) किन्तु उच्चछंद है एक पुरुष नीच है और नीच छंद है (नीच अभिप्राय वाला है)
८३
[३४१] असुरकुमारों की चार लेश्या हैं । कृष्णलेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या और तेजोलेश्या । इसी प्रकार शेष भवनवासी देवो की, पृथ्वीकाय, अप्काय, वनस्पतिकाय और वाणव्यन्तरों की चार लेश्याये हैं ।
[३४२] यान चार प्रकार के है । एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त हैं) और युक्त हैं (सामग्री से भी युक्त हैं), एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) किन्तु अयुक्त है (सामग्री रहित है) एक यान अयुक्त है (वृषभ आदिसे रहित है) किन्तु युक्त है (सामग्री से युक्त है) एक यान अयुक्त (वृषभ आदि से रहित है) और अयुक्त हैं ( सामग्री से भी रहित है ) इसी प्रकार पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा- एक पुरुष युक्त है ( धनादि से युक्त है) और युक्त है (उचित अनुष्ठान से भी युक्त है) एक पुरुष युक्त है ( धनादि से युक्त है) किन्तु अयुक्त है । ( उचित अनुष्ठान से अयुक्त है) एक पुरुष अयुक्त है ( धनादि से अयुक्त है) किन्तु युक्त है ( उचित अनुष्ठान से युक्त है) एक पुरुष अयुक्त है (धनादि से रहित है) और अयुक्त है ( उचित अनुष्ठान से भी रहित है ।
यान चार प्रकार के हैं । यथा- एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और युक्त परिणत हैं ( चलने के लिए तैयार है) एक यान युक्त हैं किन्तु अयुक्त परिणत है ( चलने योग्य नहीं है) एक यान अयुक्त है (वृषभ आदि से रहित है ) किन्तु युक्त है एक यान अयुक्त है । और अयुक्त परिणत है इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा- एक पुरुष युक्त है ( धनधान्य से परिपूर्ण है) और युक्त परिणत है ( उचित प्रवृत्ति वाला है) शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें ।
या चार प्रकार के हैं ? यथा- एक यान युक्त है (वृषभ आदि से युक्त है) और युक्त रूप है ( सुन्दरकार है) शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार का है । यथा - एक पुरुष युक्त है और युक्त रूप है । शेष पूर्ववत् जाने ।
I
या चार प्रकार के हैं । एक यान युक्त हैं (वृषभ आदि से युक्त हैं) और शोभा युक्त है । शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष युक्त है (धन से युक्त है) और शोभायुक्त हैं । शेष तीन भांगे पूर्वोक्त कहें ।