Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
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प्रकाशिका टीका-चतुर्थवक्षस्कारः सू० २६ विभागमुखेन कच्छविजयनिरूपणम् ३३७ दक्षिणार्द्धकच्छविजयस्य 'बहुमज्झदेसभाए' बहुमध्यदेशभागे-मध्यखण्डे 'एत्थ' अत्र-अत्रान्तरे ‘णं' खलु 'खेमाणाम' क्षेमा नाम 'रायहाणी' राजधानी 'पण्णत्ता' प्रज्ञप्ता, सा च 'वि. णीया रायहाणी सरिसा' विनीता राजधानी सदृशी विनीताराजधानीवत् 'भाणियव्या' भणितव्या वक्तव्या, विनीतावर्णकः सूत्रान्तराद् ग्राह्य : 'तत्थ' तत्र 'ण' खलु 'खेमाए' क्षेमायाम् 'रायहाणीए' राजधान्याम् 'कच्छे णाम' कच्छो नाम 'राया' राजा चक्रवर्ती 'समुप्पजइ' समुत्पद्यते संजायते। अयम्भाव:-क्षेमाराजधान्यामुत्पद्यमानः षट्खण्डैश्वर्यभोगी कच्छ इति लोकैय॑यहियते, अत्र वर्तमाननिर्देशेन सर्वदाऽपि यथासम्भवं चक्रवर्तिराजोत्पत्तिः सूचिता, ननु भरतवर्षक्षेत्र इव चक्राति राजोत्पत्तौ कालनियम इति, स च राजा कीदृशः १ इति जिज्ञासायामाह-'महया हिमवंत०' महाहिमवन्मलयमन्दरमहेन्द्रसारः--महाहिमवान्-हैमवतक्षेत्रस्योत्तरतः सीमाकारी वर्षधरः पर्वतः, मलयः- पर्वतविशेषः, मन्दरः- मेरुः, महेन्द्रः-पर्वत'महाणदीए' महानदी की 'पच्चत्थिमेणं' पश्चिमदिशा में सिंधु सिधु 'महाणईए' महानदी के 'पुरथिमेणं' पूिर्वदशा में 'दाहिणद्ध कच्छविजयस्स' दक्षिणाईकच्छविजय के 'बहुमज्झदेसभाए' बहुमध्यदेशमाग में 'एत्थ णं' यहां पर 'खेमा णाम' क्षेमा. नामकी 'रायहाणी' राजधानी एण्णत्ता' कही गई है। वह राजधानी 'विणीयारायहाणी सरिसा' विनीता राजधानी के समान 'भाणियव्वा' कहनी चाहिए। विनीता का वर्णन अन्य सूत्र से ज्ञात करलेवे। 'तत्थ णं' वहां पर 'खेमाए' क्षेमा 'रायहाणीए' राजधानी में 'कच्छे णामं' कच्छनामका 'राया' चक्रवर्ति राजा 'सनुप्पज्जइ' उत्पन्न होगा ! इस कथन का भाव इस प्रकार है-क्षेमाराजधानी में उत्पन्न होनेवाला कच्छनामका राजा षटूखंड ऐश्वर्य का भोक्ता होगा ऐसा लोकोक्ति है। यहां पर वर्तमान निर्देश से यथासम्भव चक्रवर्ति राजा की उत्पत्ति सूचित की है-भरतवर्ष क्षेत्र के जैसे चक्रवर्ति राजा की उपत्ति में कालनियम नहीं है, वह राजा कैसा है ? इस के लिए कहते हैं-'महयाहिमवंत' महाहिमचन्मलयमंदर महेन्द्र के जैसे सारवान् महाहिमवान्-हैमवत क्षेत्र के उत्तर में सीमाकारी
मा नामनी रायहाणी' यानी 'पण्णत्ता' ४ छ. थे यानी 'विणीयारायहाणी 'सरिसा' विनीता साधानानी सरजी भाणियव्वा' ४२वी स. विनीता शयानानु वन भी सूत्र यामाथी jी : 'तत्थ गं' या मागण 'खेमाए' मा नामनी 'रायहाणीए' सधानीमा 'कच्छे णाम' ४२७ नामधारी 'राया' यति २० षट्श्व यन ભેગવનાર થશે તેમ લેકેતિ છે અહીંયાં વર્તમાનના નિર્દેશથી સર્વદા યથાસમેવ ચક્રવતિ રાજાની ઉત્પત્તિ સૂચવેલ છે. ભરત વર્ષ ક્ષેત્રના જેવા ચક્રવર્તિ રાજાની ઉત્પત્તિમાં ४८ नियम नथी. ते शत वो छ ? मता भाट ४ छे. 'महयाहिमवंत' महा હિમવન્મલય મંદર મહેન્દ્રના જે સારવાળે મહાહિમવાન-હૈમવતક્ષેત્રની ઉત્તરમાં સીમાકારી વર્ષધર પર્વત. મલય–પર્વત વિશેષ; મન્દર-મેરુ મહેન્દ્ર–પર્વત વિશેષ આ બધાની
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