Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 693
________________ ६९४ जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्र अपराः अनेनैव क्रमेण वस्तुजातं गृह्णन्ति, ततो धातकीखण्ड जम्बूद्वीपगतस्य मेरोः भद्रशालवने सर्व तुवरान् यावत्सिद्धार्थकांश्च गृहन्ति, 'एवं गंदणवणाओ सव्वतुअरे जाव सिद्धत्थए अ सरसंच गोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणोदामं गिण्हंति' एवम् उक्तरीत्या अस्यैव मेरोः नन्दनवनात् सर्वतुवरान् यावत् सिद्धार्थकांश्च सरसं च गोशीर्षचन्दनं दिव्यं च मुमनो दामग्रथितपुष्पाणि गृह्णन्ति एवं सोमणसपंडगवणामो सव्वतुअरे जाव मुमणसदामं ददरमळय. मुगंधेय गिण्हंति' एवं सौमनसवनात् पण्डकवनाच सर्वतुरवरान् यावत् सुमनोदाम दर्दरमलयसुगन्धिकान् गन्धांश्च तत्र दर्द मलयौ-चन्दनोत्पत्तिखानिभूतौ पर्वतो तेन तात्स्थात् तद्व्यपदेश इतिन्यायेत् तदुद्भव चन्दनमपि दर्दरमलयशब्दाभ्यामभिधीयते तथाच दर्दरमलयनामक चन्दने तयोः सुगन्धः परमगन्धो यत्र तान् दर्दरमलयमुगन्धिकान् गन्धान् वासान् गृहन्ति में से और पण्डक वनमें से समस्त तुवरादि पदार्थों को लिया 'जाव सिद्धत्थए अ सरसंच गोसीसचंदणं दिव्वेच सुमणदामं गेण्हंति' यावत् सिद्धार्थकों सरस गीशीर्षचन्दन को और दिव्य पुष्पमालाओं को लिया ‘एवं सोमणस पंडगवणाओ अ सव्वतुअरे जाव सुमणसदामं दशमलय सुगंधे य गिण्हति, २त्ताएगओ मिलंति २त्ता जेणेव सामी लेणेव उवागच्छंति २ ता महत्थं जाव तिस्थ. यराभिसेअं उवट्ठवेंति' इसी तरह धातकी खण्डस्थ मेरुके भद्रशालवन में से सर्व तुवर पदार्थों को यावत् सिद्धार्थ कों को लिया इसी तरह इसके नन्दनवन में से समस्त तुपर पदार्थोको यावत् सिद्धार्थकों को लिया सरसगोशीर्षचन्दन को लिया दिव्य सुमनो दामों को लिया इसी तरह सौमनसवन से एण्डकवन से सर्व तुवरों औषधिओं को यावत् तुमनो दामों को दर्दर एवं मलय सुगन्धित चन्दनों को लिया तात्पर्य यही है कि अढाई छोप एवं इसके वाहर के समुद्रों में से वहां के जल को पर्वतों में से तुवरादि सर्वप्रकार के औषधीय પ્રમાણે જમ્મુ દ્વીપસ્થ પૂર્વાદ્ધ મેચમાં સ્થિત ભદ્રશાલ વનમાંથી નન્દન વનમાંથ, સૌમन वनमाथी भने ५७४ वनमाथी समस्त तु॥ ५. दीघi. 'जाव सिद्धत्थरअ सर संच गोसीसचंदणं दिव्वे च सुमणदामं गेहंति' यावत् सिद्धय, स२२स गोशी यन्न मन हिव्य ०५माणाम। दी एवं सोमणसपंडगवणाओ अ सव्वअरे जाव सुमणसदामं दद्दरं मलयसुगंधं य गिण्हति, गिहित्ता एगओ मिलति मिलित्ता जेणेव सामी तेणेव आगच्छंति उवागच्छि ता महत्थं जाव तित्थय। भिसेअं उबवें ति' मा प्रभारी ધાતકી ખંડસ્થમેને ભાદ્રશ લ વનમાંથી. સર્વતુવર પદાર્થોને યાવત્ સિદ્ધાર્થોને લીધાં આ પ્રમાણે જ એના નન્દન વનમાંથી સમસ્ત તુમર પદાર્થોને યાવત્ સિદ્ધાર્થીને લીધા. સરસ ગોશીષ ચન્દન લીધું. દિવ્ય સુમનદ લીધાં. આ પ્રમાણે સૌમનસ વનમાંથી, પંડવનમાંથી, સર્વ તુવર ઔષધિઓને યાવત્ સુમનામને, દદુર તેમજ મલયજ સુગર જિત ચન્દન લીધાં, તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે અઢાઈ દ્વીપ તેમજ એની બહારના સમુ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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