Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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१४ ]
[ प्रज्ञापनासूत्र
उदाहु चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य २३ उदाहु चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च २४ उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २५ उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च २६ ? एवं एंते छव्वीसं भंगा।
गोयमा ! परमाणुपोग्गले नो चरिमे १ नो अचरिमे २ नियमा अवत्तव्व ३, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा ।
[७८१ प्र.] भगवन् परमाणुपुद्गल क्या १. चरम है ?, २. अचरम है ?, ३. अवक्तव्य है ?, ४. अथवा (बहुवचनान्त) अनेक चरमरूप है ?, ५. अनेक अचरमरूप है ?, ६. बहुत अवक्तव्यरूप है ? अथवा ७. चरम और अचरम है ?, ८. या एक चरम और अनेक अचरमरूप है ? यह प्रथम चतुर्भगी हुई ॥१ ॥
अथवा (क्या परमाणुपुद्गल ) ११. चरम और अवक्तव्य है? १२. अथवा एक चरम और बहुत अवक्तव्य है ? या १३. अनेक चरमरूप और एक अवक्तव्यरूप है ? अथवा १४. अनेक चरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है ? यह द्वितीय चतुर्भगी हुई ॥२॥
अथवा (परमाणुपुद्गल) १५. अचरम और अवक्तव्य है ? अथवा १६. एक अचरम और बहुअवक्तव्यरूप ? या १७. अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्यरूप है? अथवा १८. अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तरूप है? यह तृतीय चतुर्भगी हुई ॥ ३ ॥
अथवा (परमाणुपुद्गल) १९. एक चरम, एक अचरम और एक अवक्तव्य है ? या २०. एक चरम, एक अचरम और बहुत अवक्तव्यरूप हैं? अथवा २१. एक चरम, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्यरूप है ? अथवा २२. एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्या हैं ? अथवा २३. अनेक चरमरूप, एक अचरम और एक अवक्तव्य है? अथवा २४. अनेक चरमरूप, एक अचरम और अनेक अवक्तव्य है? या २५. अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य है ? अथवा २६.. . अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्य हैं ? इस प्रकार ये छव्वीस भंग हैं।
[७८१ उ.] हे गौतम! परमाणुपुद्गल (उपर्युक्त छव्वीस भंगों में से) चरम नहीं, अचरम नहीं, (किन्तु) नियम से अवक्तव्य है। शेष ( तेईस ) भंगों का भी निषेध करना चाहिए ।
७८२. दुपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा ।
गोमा ! दुपसि खंधे सिय चरिमे १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्व ०० ३, सेसा भंगा पडसे हेयव्वा ।
[७८२ प्र.] भगवन् ! द्विपदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी इसी प्रकार की छव्वीस भंगात्मक) पृच्छा है, (उसका क्या समाधान हैं ? )