________________
Vvvwwvvvvvvv
v vvvvv.Wwwwvi
भिनु-जीवन के विष्ट wwwimmunomorumnwurmirmirmirmwwwwwwwwwwwww .
भिन्तु फिरते-फिरते देश के सीमान्त में पहुँच जाता हैं वहां लोग . उसे . जासूस या चोर समझ कर गिरफ्तार कर लेते हैं और पीटते . हैं। उस समय वह क्रोध में आकर पति को छोड कर निकली हुई
स्त्री के समान घर को याद करता है। ये सव-विघ्न अति कठोर तरे हैं ही पर दुःसह सी हैं पर उनसे घबरा कर भाग खडे होने के बदले धैर्यपूर्वक उनको सहन करना सीखना चाहिये।
- अपने कोमल स्नेहसम्बन्ध को तोड़ने में भी नवीन भिक्षु को कम कठिनाई नहीं होती। उसे भिक्षा मांगने पाया देखकर, उसके सम्बन्धी उसे घेर कर विलाप करने लगते हैं “हे तात ! हमने पाल-पोप कर तुझे बडा किया, अब तू हमारा मरण-पोषण कर; ऐसा करने के बदले तू हमें त्याग क्यों रहा हैं ? वृद्ध माता-पिता का भरण-पोपण तो आचार है, उसका 'त्याग करके तू धर्म को कैसे प्राप्त कर सकेगा? तेरे बढे-बूढे मधु भाषी हैं । तेरा पुत्र तो अभी. बालक हैं; तेरी स्त्री भी जवान है, हो सकता है वह कुमार्ग पर चलने लगे ! इस लिये हे तात! तू वापिस घर लौट चल । अब तुझे कोई काम करना नहीं पडेगा; हम सब तेरी सहायता करेंगे। तेरा ऋण (क) हम सबने आपस में बांट लिया है और व्यापार-धंधे के लिये हम तुझे फिर धन देंगे। एक बार तू फिर चल | अगर तुझे न रुचे तो तू फिर चला जाना। ऐसा करने से तेरे श्रमण-धर्भ में बाधा नहीं आती।" यह सब सुनकर अपने प्रेमियों के स्नेह-सम्बन्ध में बंधा हुआ निर्बल मन का मनुष्य घर की ओर दौडने लगता है। तब तो उसके सम्वन्धी भी एक बार हाथ में पाने पर उसको चारों ओर से भोग-विलास में जकड कर घडी भर उसको नहीं छोडते। ..