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भिक्षु-जीवन के विघ्न
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प्रथम विघ्न के आते ही फिसल पड़ते हैं, जैसे कृष्ण को न देखा था तब तक शिशुपाल अपनी वीरता का गर्व करता रहा । परन्तु जो इन विनोंको पहिले से ही जान का मौका भी पड़ने पर प्राणान्त तक उनका सामना करते हैं, वे ही पराक्रमी नाविकोंके समान इस संसाररूपी दुस्तर समुद्र को पार कर जाते हैं । [१८] :
-ऐसा श्रीसुधास्वामी ने कहा।
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