________________
नौवां अध्ययन - (०).-- धर्म
जग्बूस्वामी ने पूछा--
"हे भगवन् ! मतिमान् ब्राह्मण महावीर ने कसा धम कहा है ? श्राप उसको कृपा करके हमें कहिये जिससे हम उसमें प्रयत्नशील बनें !"
श्री सुधर्मास्वामी ने कहा. "जिनेश्वर ने जिस सीधे सच्चे मार्ग का उपदेश दिया है, उसे मैं तुम्हें कह सुनाता हूं। तुम उसे सुनो। उस धर्म को जानने और पालने का अधिकार किसे है, वह मैं पहिले कहता हूं। जो मनुष्य अपने में विवेक प्रकट होने से संसार के पदार्थों और भावों के प्रति वैराग्ययुक्त होगया है, और जो मनुष्य आसक्तिपूर्वक होनेवाली प्रवृत्तियों के द्वारा बंधनेवाले रागद्वैप तथा पुष्ट होनेवाले कामों और उनके दुःखरूपी फलों को जानता है, वही इस मार्ग का अधिकारी है। वह जानता है कि मनुष्य जिन पदार्थों के लिये विविध प्रवृतियाँ करता है, वे सब पदार्थ मृत्यु के बाद कुटुग्वियों के हाथ में चले जाते हैं, और उसे तो मात्र अपने कर्मों को ही भुगतना रह जाता है । उस समय जिनके लिये उसने सब प्रवृत्तियां की थीं,