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सूत्रकृतांग सूत्र
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तब गौतम स्वामी ने कहा-हे आर्य ! इन शब्दों पर श्रद्धा, विश्वास और रुचि कर क्योंकि जो मैं ने कहा है, वह यथार्थ है।
इस पर पेढाल पुत्र उदक ने गौतम स्वामी से कहा-हे भगवन् ! अापके पास मैं चातुर्यामिक धर्म में से (भगवान् पार्श्वनाथ के समय चार व्रत थे। ब्रह्मचर्य का समावेश अपरिग्रह में माना जाता था।) पंच महाव्रत और प्रतिक्रमण विधि के धर्म में ग्राना चाहता हूं।
__ तब भगवान्गाँतम ने कहा-जिसमें सुख हो, वही कर । इस .पर पेढाल पुत्र उदक ने भगवान् महावीर के पास पंचमहाव्रत और प्रतिक्रमण विधि के धर्म को स्वीकार किया।
-ऐसा श्री सुधास्वामी ने कहा ।
॥ ॐ शान्ति ॥