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तैरहवाँ अध्ययन
-(०)कुछ स्पष्ट बातें
श्री सुधर्मास्वामी ने कहा- अब मैं तुमको मनुष्यों के विविध प्रकार के स्वभाव के सम्बन्ध कुछ स्पष्ट बातें कह सुनाता हूँ। रात्रि दिवस प्रयत्नशील तथागतों के पास से सद्धर्भ जानते हुए भी कितने ही अधर्मी भिक्षु बताए हुए समाधि मार्ग का आचरण नहीं करते; बल्कि अपने उपदेशक को ही चाहे जैसी बातें कह सुनाते हैं; अथवा अर्थ जानने पर भी अपनी इच्छा के अनुसार अर्थ करते हैं और परमार्थ को छुपाते हैं, या अपने को शंका हो तो (दूसरे जानकार के पास से खुलासा कराने के बदले में) झूठ बोलते हैं और वैसा ही आचरण करते हैं। ऐसे मायावी दुर्जन नाश को प्राप्त होते हैं, ऐसा तुम समझ लो। [१-४]
और, कितने ही अभिमानी अपने में सच्ची शक्ति न होने पर भी व्यर्थ ही अपनी बड़ाई करते हैं और दूसरों को अपनी परछाई के समान तुच्छ समझते हैं, अथवा सन्यासी भिन्तु बन जाने पर भी
अपने ब्राह्मण, क्षत्रिय, उग्र (जो क्षत्रिय आरक्षक और उग्र दण्ड - धारण करने वाले थे, वे उग्र कहाते थे) और लिच्छवी कुल का
अभिमान करते हैं। ऐसे मनुष्य सन्यासी होते हुए भी गृहस्थ का