________________
Re
सा
सुत्रकृतांग मुत्र
me
(३) हिसादंड प्रत्यायिक---प्राणों की हिंसा के पाप के कारण से पास होने वाला क्रियास्थान । जैसे कोई. मनुष्य ऐला सोच कर कि अमुक प्राणी या मनुष्य ने मुझे, मेरे सम्बन्धियों की या अन्य को काट दिया था, देता हैं या देगा, स्थावर ब्रस जीवों की हिंसा , करता है।
(2) अकस्माइंड प्रत्ययिक-अनजान में हुए पाप के कारण प्राप्त होने वाला क्रियास्थान । जैसे कोई मनुष्य मृग आदि जानवरों की शिकार करके श्राजीविका चलाता हो, वह किसी अन्य प्राणी. को मृग जान कर बाण मार दे और इस प्रकार वह दूसरा प्राणी । अनजान में मारा जाये; या कोई मनुष्य, अनाज के खेतमें बेकाम बास नींदता हुआ अनजान में अनाज के पौधे ही को काट दे। ....... : - (१) दृष्टि विपर्यास दंड प्रत्ययिक:-दृष्टि के चूकने से हुए पाप के कारण प्राप्त होनेवाला क्रियास्थान ।' जैसे कोई पुरुष अपने सन्य- . न्धियों के साथ किसी गाव या. नगरमें. (इसके सिवाय मूलमें खेट-... नदी या पहाड के किनारे का छोटा गाँव खर्यट-पर्वत से घिरा हुआ . गाँव; मंडल-जिसके चारों ओर योजन तक गाव न हो ऐसा गाव; द्रोणमुख-नदी या समुद्र के किनारे जहाँ पूर या ज्वार पाता हो वहाँ बसा हुया गाव; पटण-रल की खानवाला गांव आश्रम-तापसों का गाँव; लनिवेश-व्यापारियों के कारचा या फौज का पड़ाव; निगम- . व्यापारी वणिकों की मंडी और राजधानी) रहता हो, वहाँ चोरों का धाड़ा गिरे तो उस समय चोर न हो उसे चोर मान कर वह मार डाले। । (६) मृपावाद प्रत्ययिक-झूठ बोलने के पाप के कारण प्राप्त होने वाला क्रियास्थान । जैसे कोई मनुष्य अपने स्वयं के लिये या अपनों के लिये झूठ बोले, बुलावे या अनुमति दे।