Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Sthanakvasi Jain Conference

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Page 135
________________ छठा अध्ययन -(०)आद्रेक कुमार . संसार की सूक्ष्म स्नेहपाशों में से अपने को प्रबलता से छुड़ाकर, भगवान् महावीर के पास जाते हुए पाक कुमार को रास्ते में अनेक मतों के प्रचारकों से भेट होती है। वे महावीर और उनके सिद्धान्तों पर अनेक आक्षेप करते हैं और अपनी मान्यताएँ बतलाते हैं। आक कुमार उन सबको यथोचित उत्तर देते हैं। . . पहिले आजीविक सम्प्रदाय का संस्थापक गोशालक उन्हें कहता है। __ गोशालक--हे पाक ! इस महावीर ने पहिले क्या किया है, उसे सुन । पहिले वह अकेला एकान्त में विचरने वाला श्रमण था । अब वह अनेक भिक्षुओं को एकत्रित करके धर्मोपदेश करने को निकला हैं इस प्रकार इस अस्थिर मनुष्य ने अपनी आजीविका खड़ी कर ली है । उसका वर्तमान आचरण उसके पूर्व प्राचरण से विरुद्ध है। [१३] प्राक-पहिले, अभी और आगे भी उनका अकेलापन है ही। संसार का सम्पूर्ण स्वरूप समझ कर बेस-स्थावर जीवों के कल्याण के लिये हजारों के बीच उपदेश देने वाला तो एकान्त ही साधता रहता है, क्योंकि उसकी आन्तरिक वृत्ति तो समान ही रहती है। यदि कोई स्वयं क्षांत, दान्त जितेन्द्रिय

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