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आठवाँ अध्ययन
सच्ची वीरता
जम्बु स्वामी ने पूछा... "हे भगवन् ! वीरता तो दो प्रकार की कही जाती है। धर्म
धीर की वीरता किस में है और उसका वर्णन कैंसा किया गया है; श्राप उसे कहिये।" []
श्री सुधर्मास्वामी कहने लगे
"हे आयुष्मान् ! तेरा कहना ठीक है। लोगों में इसके सम्बन्ध .. में दो मान्यता है। कुछ कर्भ को वीर्य (वीरता) कहते हैं,
जब कुछ सुव्रती मुनि अकर्म को वीर्य कहते हैं। प्रमाद कर्भ
है और अप्रमाद अकर्म है। जो प्रवृत्तियां प्रमादयुक्त है यानि धर्म . से विमुख है; वे सब कर्मरूप है, श्रतएव त्याज्य हैं। जो प्रवृतियां
प्रमाद रहित हैं, यानि धर्म के अनुसार हैं; वे अकर्भ हैं, श्रतएव करने के योग्य हैं।
. उदाहरण के लिये,. प्राणियों के नाश के लिये शस्त्रक्रिया . सीखने में, कामभोगों के लिये माया आदि का प्राचरण करने में या . - संयमरहित और. वैरभाव से युक्त होकर, मन, वचन और काया से. ... इस लोक या परलोक के कर्मी को करने में-संक्षेप में जिनसे. अहित